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आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के योग एवं नेचुरोपैथ विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर नीरज कुमार पाण्डेय ने आसनों का लाभ बताते हुए कहा कि आजकल भागदौड़ की जिंदगी में व्यक्ति अपने को स्वस्थ नहीं रख पा रहा है. किसी व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य का अर्थ है कि शरीर किसी बीमारी से प्रभावित नहीं है. आसनों के जिक्र करते हुए भ्रामरी प्राणायाम के बारे में बताया कि अगर आप डिप्रेशन से ग्रसित है तो भ्रामरी प्राणायाम इसका रामबाण उपचार है तथा वज्रासन के लाभ बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा आसन है जो भोजन करने के उपरांत किया जाता है.
प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय ने बताया कि मौलिक विचार मातृ भाषा में ही अधिकतर आते हैं और संपर्क भाषा, क्षेत्रीय भाषा आदि शिक्षा के क्षेत्र में भी सर्वोत्तम आगत को प्रोत्साहन देते हैं. भाषा अधिगम के साथ ही संस्कृति के हस्तांतरण का प्रमुख माध्यम है जो छात्र को शिक्षा व संस्कृति से जोड़ भी सकती है व विमुख भी कर सकती है.