Tag: पर्यावरण
हमें एक ही रास्ता दिखाई देता है कि यदि हम सनातन संस्कृति एवं भारतीय परम्परागत ज्ञान परम्परा में निहित अवधारणाओं के अनुसार प्रकृति के अनुसार व्यवहार करें, उसके अनुसार अपनी जीवन शैली एवं जीवन चर्या को अपनाएं तो निश्चित ही हम प्रकृति को भी बचा सकते हैं, प्रदूषण को भी भगा सकते हैं एवं पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी संतुलन भी बनाए रख सकते हैं
गाँधीजी ने कहा है कि, ” मैं आपको एक मंत्र दे रहा हूँ. जब भी आप संशग्रस्त हों अथवा भ्रमित हों तो या स्वार्थ से वशीभूत हो जाएँ तो आप यह उपाय करके देखिए- “आप अपने सामने आए हुए किसी अति दरिद्र असहाय एवं लाचार व्यक्ति का चेहरा अपने आँखों के सामने लाइए और आपने जो योजना तैयार की है, उस योजना से वह व्यक्ति लाभान्वित होगा कि नहीं? आप स्वयं से ऐसा प्रश्न कीजिए. इस प्रश्न को जो उत्तर मिलेगा, वही वास्तव में विकास एवं प्रगति को मापने का मापक होगा.”