बीमारियों और मच्छरों से दूर रहने पर जोर

बलिया। जिलाधिकारी गोविन्द राजू एनएस ने  जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई)/एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) बीमारी के प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम के उपाय करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. उन्होंने इसके लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने को कहा.

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जिलाधिकारी ने मातहतों को इस रोग एवं इससे सुरक्षा के उपायों के बारे में इन्टरनेट आदि के जरिये अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करके लोगों को बताने को कहा. जिलाधिकारी ने शिक्षा, पंचायत, आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अपनी बैठकों में इन विभागों के अधिकारी इस रोग के बारे में जरूर चर्चा करें. उन्होने इन रोगों की रोकथाम के लिए प्रिवेन्टिव उपाय तथा इलाज की मुकम्मल व्यवस्था करने का निर्देश दिया. जिलाधिकारी ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यशाला का उद्घाटन किया.

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जिलाधिकारी शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत जेई/एईएस के प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम के सम्बन्ध में आयोजित जनपद स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला में कहा कि गांव-गांव और शहर में साफ-सफाई, कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाय. उन्होंने गैर सरकारी संगठनों से गरीब परिवारों के लिए मच्छरदानी देने के काम में सहयोग करने को कहा, ताकि वे मच्छर से अपना बचाव कर सके. उन्होंने गांव-गांव र्में नालियों की सफाई पर बल देते हुए कहा कि इससे मच्छर पैदा नही होगें. साथ ही जल जमाव भी न होने दिया जाय. यह भी ध्यान दिया जाय कि घर के अन्दर और उसके आस-पास कूड़ा इक्कठा न हो. बच्चों को मच्छरों से बचाव के उपाय किये जाय, ताकि कोई बच्चा इस रोग से ग्रसित न हो सके.

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मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पीके सिंह ने जापनीज इन्सेफेलाइटिस (दिमागी बुखार) के बारे में बताया कि यह बीमारी मच्छर के काटने एवं दूषित पेयजल के कारण होती है. दिमागी बुखार के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 6 से 8 दिनों के बाद दिखाई देता है. यह भी बताया कि पहले सरदर्द बुखार, ठण्ड लगना, थकान, मितली एवं उल्टी तथा उसके बाद गले एवं शरीर की मांसपेशियों में अकड़न, निर्जलीकरण, चेहरे पर कठोरता, असामान्य तरीके से चलना एवं तीसरा लक्षण भारी आवाज, धीरे-धीरे बात करना, बोलने में परेशानी एवं लकवा है. उन्होंने दिमागी बुखार से बचाव के उपाय के बारे में बताया कि प्रातः एवं सांयकाल जब मच्छर अधिक सक्रिय होते है तो उस समय शरीर को पूरा ढककर रखे. मच्छरदानी आदि का उपयोग करे. घर की खिडकी दरवाजे को जाली से बन्द रखे. आस-पास पानी इक्कठा न होने दे. नालियों की सफाई कर बहाव को रखा जाय. तालाबों कुओं मच्छर के लार्वो को खाने हेतु कई तरह की मछलियों का उपयोग किया जा सकता है. जिससे मच्छर की संख्या कम की जा सकती है. तालाब, कुएं तथा कम गहरे हैण्डपम्प के पानी का उपयोग पीने व खाना बनाने में न करे.

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बुखार होने पर रोगी के माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी रखे तथा बुखार की दवा पैरासीटामाल दे तथा उपचार में देरी न करे. अपने को मच्छर के काटने से बचाये. शरीर पर मच्छर भगाने वाली औषधियों/सरसों/नीम के तेल आदि का लेप करे. अधिशासी अधियन्ता जल निगम ने बताया कि स्वच्छ पेयजल हेतु पाइप पेयजल ज्यादा सुरक्षित है. स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने सुझाव दिया कि पिगरीज को अर्बन ऐरिया से बाहर रखा जाय. बैठक में प्रभारी सीडीओ सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारीगण मौजूद थे.

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