सिकन्दरपुर, बलिया. घाघरा नदी दिनों-दिन भयावह रूप लेती जा रही है, जिसके कारण नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों पर खतरा बढ़ता जा रहा है.
एक सप्ताह पहले घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हुआ था, जो घटने का नाम ही नहीं ले रहा है. जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नदी खतरा बिंदु 64.01 मीटर के सापेक्ष 64.91 मीटर पर बह रही थी. जो खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर पहुंचने वाली है. अभी भी आधा सेमी प्रति घण्टे की दर से बढ़ाव जारी है. यदि यही स्थिति रही तो नदी खतरा बिंदु से एक मीटर ऊपर हो जाएगी. उधर, लगातार नदी का बढ़ता पानी भीषण तबाही का संकेत दे रहा है. इलाके के कठौड़ा, लिलकर, सिसोटार, पुरूषोत्तम पट्टी, खरीद, बसारिखपुर समेत दो दर्जन गांवों पर खतरा बढ़ गया है. कई गांवों के मुख्य मार्ग पर बाढ़ का पानी लगने से आवागमन बाधित हो गया है. जबकि कठौड़ा स्थित राजभर बस्ती में पानी घुसने से हड़कम्प मचा हुआ है.
उधर, रिंग बन्धा के पास पहुंच गयी घाघरा ने अब बंधे को टक्कर मारना शुरू कर दिया है. नदी रौद्र रूप धारण कर सीधे साल 1998 की तरह बढ़नी शुरू हो गयी है. साल 1998 में घाघरा का जलस्तर 66 मीटर था. हालांकि नदी अभी इससे 1.09 मीटर दूर है लेकिन बढ़ाव तटवर्ती इलाकों के लोगों के लिए खतरे की घण्टी है.
दो तरफा खतरा से घिरे लोग
तटवर्ती गांवों के लोगों को हर साल मुसीबत झेलनी पड़ती है. उन्हें दोनों तरफ का भय सता रहा है. एक ओर, यदि जलस्तर घटता है तो कटान का खतरा और बढ़ता है, तो दूसरी ओर बाढ़ का खतरा है. जिससे उत्पन्न होने वाली तबाही को लेकर वे भयाक्रांत हैं. रिंग बंधे के करीब के गांवों की स्थिति सबसे बुरी है. पिछले साल सिसोटार में रिंग बंधे में रिसाव होने से खलबली मच गई थी, जबकि कई गांवों और पुरवों में पानी घुसने से लोग परेशान हैं. वहीं किसानों की सैकड़ो एकड़ फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है.
(सिकन्दरपुर से संतोष शर्मा की रिपोर्ट)