बलिया की इस बेटी से ‘थर्राया’ रानी का झांसी

बलिया लाइव ब्यूरो

बलिया। जॉर्ज ग्रियर्सन ने लिखा है कि भोजपुरी उस शक्तिशाली,  स्फूर्तिपूर्ण और उत्साही जाति की भाषा है,  जो परिस्थिति और समय के अनुकूल अपने को बनाने के लिए सदा प्रस्तुत रहती है, जिसका प्रभाव हिंदुस्तान के हर भाग पर पड़ा. मूलतः भोजपुरी भाषी आईएएस  गरिमा सिंह के दिन की शुरुआत अच्छे थॉट्स के साथ होती है. ऑफिस में उनकी टेबल पर पॉजिटिव थॉट्स पेपर पर लिखे रखे रहते हैं. सबसे पहले वे यही पेपर पढ़ती हैं, जिससे उन्हें सकारात्मक ढंग से सोचने में मदद मिलती है. ये थॉट्स उन्होंने पेपर पर खुद लिखकर रखे हैं. जी हां, अपने बलिया के कथौली गांव की बेटी है गरिमा सिंह. जिसने मात्र पच्चीस साल की कम उम्र में आईपीएस बन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. इस साल गरिमा का सेलेक्शन आईएएस में हो गया. इसी अगस्त में वह बतौर आईएएस ज्वाइन करेगी. हालांकि इस दौरान गरिमा ने कुछ वीडियो शूट किया. आप भी देखिए

पापा के कहने पर शुरू की सिविल सर्विसेज की तैयारी

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

गरिमा के ही शब्दों में मेरे पापा ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं. वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं. सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की. गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई की है. उन्होंने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सेलेक्शन आईपीएस में हो गया. और इस साल तो गरिमा आईएएस में कामयाबी हासिल भी कर ली. गरिमा की शादी पिछले साल 25 जनवरी को ही हुई है. बर्थडे 14 फरवरी को आता है. पति राहुल रॉय पेशे से इंजीनियर हैं. गाजीपुर के मूल निवासी राहुल ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और अब नोएडा में पोस्टेड हैं.

12

जब पुलिस वाले ने मांगी गरिमा से रिश्वत

गरिमा के जुबानी सुनिए वह कहानी जो मीडिया में सुर्खियां बटोरी – डीयू में पढाई के दौरान मैं एक मॉल से रात में दोस्तों के साथ होस्टल लौट रही थी. तभी चेकिंग के लिए तैनात पुलिसवाले ने हमारा रिक्शा रोक लिया. रात में कहां से आ रही हो, कहां जाना है.. जैसे सवाल पूछने के बाद पुलिस वाले ने हमसे सौ रुपये मांगे. मना किया तो पापा को फोन कर रात में घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा. बहस के बाद पुलिस वाले ने हमेंजाने तो दिया, लेकिन इस वाक्ये ने मेरे मन में पुलिस के प्रति नफरत भर दी हो गई. रिश्वत वाले वाक्ये ने गरिमा के मन में पुलिस के लिए कड़वाहट भर दी थी, लेकिन जल्द ही उनका नजरिया बदल गया. वह बताती हैं, “एक बार डीयू में मेरा फोन गायब हो गया था. मैंने इसकी शिकायत पुलिस में की. पुलिस ने जिस तेजी से एक्शन लेते हुए मेरा फोन खोज निकाला, उसने मेरा नजरिया बदल दिया.

14

बतौर आईपीएस झांसी में बहुत पॉपुलर हुई

बाद में बतौर आईपीएस गरिमा सिंह को झांसी जिले की कमान सौंपी. महज 25 की उम्र में आईपीएस बनीं गरिमा की यह पहली पोस्टिंग थी. लखनऊ में 2 साल तक अंडरट्रेनिंग एएसपी के तौर पर रहीं गरिमा झांसी में एसपी सिटी के रूप में काफी लोकप्रिय हुई. समस्याग्रस्त लोगों से बेहद शिष्ट तरीके से पेश आकर उनकी परेशानी सुनना उन्हें लोकप्रिय बनाया. उनका टैलेंट देखते हुए उन्हें लखनऊ के बहुचर्चित मोहनलाल गंज रेप केस की जांच टीम में शामिल किया गया. उन्होंने इस केस पर रात-रात भर जागकर काम किया. इसके अलावा उन्होंने महिला हेल्पलाइन 1090 को स्थापित करने में भी योगदान दिया.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE