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सिताबदियारा ग्राम से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बिहार के आरा भोजपुर की सीमा की ही एक पंचायत है खवासपुर. यह आरा के बड़हरा प्रखंड का हिस्सा है. इसी के सीध में गंगा नदी के उपर पिछले वर्ष की भांति बन रहा पीपा पुल इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन से चालू हो जाएगा. वर्ष में आठ माह चलने वाला यह पीपा पुल क्षेत्रीय लोगों के लिए वरदान स्वरूप है.
लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपियर का गांव कुतुबपुर काश. स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतीक्षा नहीं होती. गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे में है. कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन भी उस गांव को रोशन नहीं कर सका.
रविवार को लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने जाने वाले भिखारी ठाकुर का जयंती मनाई गई, लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन कवियों व रीति कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का परिवार चीथड़ों में जी रहा हो.
असीमीत जमीनी जानकारी, सपाट शैली व अलौकिक इल्म ने तब के ‘लोकगायक’ भिखारी ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय उंचाई दी. अति सामान्य इस व्यक्ति की लोक समझ, शोध प्रबंधों का साधन बन गई. भोजपुरी के प्रतीक भिखारी ठाकुर अपनी प्रासंगिक रचनाधर्मिता के कारण भारतीय लोक साहित्य में ही नहीं, सात समुंदर पार मारीशस, फीजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं.
अपने देश में तीन स्थानों पर स्नान और मेला एक ही समय कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिन शुरू होता है. वह है बिहार का सोनपुर, बलिया का ददरी मेला और छपरा (बिहार) का ही कोनिया मेला. आप सोनपुर और ददरी मेला के विषय में तो बहुत कुछ जानते होंगे, किंतु छपरा जिला मुख्यालय से महज दस किमी की दूरी पर स्थित पैराणिक गोदना, वर्तमान में रिविलगंज, के विषय में कम जानते होंगे.
कार्तिक पूर्णिमा के सांथ-सांथ बाल दिवस पर भी आप खूब इन्ज्वाय किए होंगे. इसलिए हम भी चर्चा की शुरूआत बच्चों से ही करें. जगजाहिर है कि अभी के समय में हर अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य बनाने की चिंता में डूबा है. यह सही भी है कि बच्चे हमारे भविष्य, हमारी उम्मीदें और सपनों को साकार करने वाले हैं.