किसी शिक्षक को मिलेगा ताज या निर्दल करेगा बैरिया पर राज

बैरिया विधानसभा चुनाव में इस बार सभी प्रमुख पार्टियों ने शिक्षकों को ही मैदान में उतारा है. सपा-कांग्रेस गठबंधन हो या भाजपा और बसपा. तीनों दलों ने शिक्षक उम्‍मीदवार ही मैदान में भेजे हैं.

बैंककर्मियों की बदसलूकी से आजिज आ चुके हैं सिताबदियारा के ग्रामीण

सिताबदियारा में लगभग 50 हजार की अबादी के लिए स्‍थापित है इलाहाबाद बैंक. यहां शायद ही कोई ऐसा दिन हो, जिस दिन बिना हंगामें के कोई लेन-देन संपन्न हुआ हो.

सोशल मीडिया का दुरूपयोग कर बन रहा चुनावी माहौल

मौजूदा समय में इंटरनेट की दुनिया में पैठ बना चुका हर व्यक्ति आज किसी न किसी सोशल नेटवर्क से जुड़ा है. इसमें कोई संशय नहीं है कि सोशल मीडिया का मंच आज अभिव्यक्ति का नया और कारगर माध्यम बन चुका है.

खुद के देश में लुप्त हो गया, बापू-जेपी का सर्वोदय

सिताबदियारा में जेपी ने ही की थी इस परंपरा की शुरूआत लवकुश सिंह फरवरी महीने की 12 तारीख सर्वोदयी विचारधारा के तमाम लोगों के लिए कभी खास होती थी.  इस दिन को महात्‍मा गांधी …

गठबंधन राजनीति के प्रणेता थे चंद्रशेखर

यूपी विधान सभा चुनाव में इस बार गठबंधन राजनीति की खूब चर्चा है. गठबंधन राजनीति में कई तरह के नए नारे भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं हमारे देश की धरातल पर गठबंधन की राजनीति की शुरूआत कब हुई.

सुनो यूपी जरा अपने ही पड़ोसी बिहार के बोल

उत्तर प्रदेश (यूपी) में लोकतंत्र का एक महापर्व विधान सभा चुनाव एक बार फिर हाजिर है. आलम यह है कि कमोवेश सभी दलों के रहनुमा आमलोगों के लिए सोने का महल तक लेकर मुखातिब हैं.

लोकतंत्र के यज्ञ में आपका एक वोट आहुति की तरह है

प्रदेश में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से मतदान काफी महत्वपूर्ण है. कल की हमारी एक जरा सी लापरवाही व वोट न देने की चूक हम लोगों पर पांच सालों के लिए भारी साबित हो सकती है.

निष्‍पक्ष चुनाव के लिए जयप्रकाशनगर में घंटों मंथन

जयप्रकाशनगर में बैरिया के उपजिलाधिकारी, सीओ, थानाध्‍यक्ष, तहसीलदार ने दो दर्जन से भी अधिक पुलिस प्रशासन के सांथ जयप्रकाशनगर के बूथों का जायजा लिया.

‘प्रभात खबर’ अखबार को अलविदा कह गए हरिवंश

झारखंड के लीडिंग हिंदी दैनिक प्रभात खबर से बड़ी सूचना आ रही हैं. कई दशकों तक इस अखबार के प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत रहे हरिवंश अब प्रभात खबर से अलविदा हो गए.

सुभाष यादव की बसपा में वापसी, आजमगढ़ मंडल इकाई अध्यक्ष बनाए गए

लोकननायक जयप्रकाश नारायण के गांव के मूल निवासी बैरिया के पूर्व विधाय‍क सुभाष यादव की पुन: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी के बाद बैरिया की राजीति भी पूरी तरह गर्म हो गई है.

जेपी का गांव : जब हो गए कंगाल, तब याद आई सिताबदियारा सुरक्षा बांध

वर्ष 2011 से 2016 तक यूपी-बिहार ने मिलकर लगभग 70 करोड़ रुपये घाघरा में कटान रोकने के नाम पर बहा दिए. इसके बावजूद भी गांव घाघरा कटान से सुरक्षित नहीं हो सके.

जेपी के क्रांति मैदान में मानव श्रृंखला बनाकर कहा नशे को ‘ना’

आज दूसरी बार उसी मैदान में राज्‍य सभा सांसद हरिवंश के संग संपूर्ण सिताबदियारा वासी शराब बंदी कानून के समर्थन में एक सांथ खड़े हुए. इसमें स्‍कूली बच्‍चों के सांथ-सांथ आमलोगों ने भी खुलकर सांथ दिया.

शराब बंदी के समर्थन में ऐतिहासिक होगी मानव श्रृंखला – हरिवंश

सिताबदियारा से लवकुश सिंह बिहार में शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान के तहत 21 जनवरी को बनने वाली मानव श्रृंखला में करीब दो करोड़ लोगों के शामिल करने की योजना है. संपूर्ण बिहार में …

जाति-धर्म के नाम पर ही सज रहा मैदान

सभी प्रमुख पार्टियों को इसका बखूबी एहसास है कि यह चुनाव जहां राज्यसभा में उसकी ताकत में इजाफा करेगा, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी बड़ा आधार तैयार करेगा.

विधानसभा चुनाव में किस ओर होगी राजपूतों की गोलबंदी 

इस बार भी उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में जातीय गोलबंदी की बड़ी भूमिका रहेगी. विकास, सुशासन, कानून व्यवस्था जैसे नारों के पीछे चुनाव में जातीय प्रतिनिधित्व के माध्यम से उन्हें जोड़ने का खेल वैसे तो लंबे समय से चल रहा है, इस बार भी कुछ ऐसा ही है.

चुनावी चकल्लस – हाल कैसा है जनाब का, क्या खयाल है आपका

विधान सभा चुनाव की घंटी बज चुकी है. गांव की राजनीतिक गलियारों में चहल पहल शुरू हो चुकी है. विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत बैरिया गांव के प्रमुख बाजारों की रौनक एक बार फिर लौटने लगी है

छपरा और बलिया से भी नजदीक हुआ सिताबदियारा से आरा

सिताबदियारा ग्राम से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बिहार के आरा भोजपुर की सीमा की ही एक पंचायत है खवासपुर. यह आरा के बड़हरा प्रखंड का हिस्‍सा है. इसी के सीध में गंगा नदी के उपर पिछले वर्ष की भांति बन रहा पीपा पुल इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन से चालू हो जाएगा. वर्ष में आठ माह चलने वाला यह पीपा पुल क्षेत्रीय लोगों के लिए वरदान स्‍वरूप है.

रामचरित मानस की प्रत्‍येक चौपाई महामंत्र के समान

मन की सरलता वाले व्‍यक्ति ही भगवान को अधिक प्रिय होते हैं. भगवान का भजन उसी व्यक्ति को फलदायी होते हैं, जिसका मन छल और कपट से रहित होता है. ऐसे व्‍यक्ति भगवन्‍न नाम संकीर्तन से असंभव से असंभव कार्यों की सिद्धि प्राप्‍त कर सकते हैं.

दो माह चलाकर, बंद कर दी परिवहन निगम की बस

जेपी के गांव सिताबदियारा से पटना तक के लिए अभी हाल ही में परिवहन निगम की बस सेवा चालू की गई थी. यह बस सिताबदियारा ही नहीं, यूपी सीमा के लोगों के लिए भी एक वरदान थी. सभी लोग इस बस सेवा से बेहद खुश थे, तभी बाढ़ आई और यह बस बंद कर दी गई.

मेला दिलों का आता है, एक बार, आ के चला जाता है

द्वाबा की धरती पर धनुष यज्ञ मेला एक नहीं कई मायनों में खास है. इस मेले में न सिर्फ खरीदारी होती है, बल्कि कई युगल जोड़ों के वैवाहिक रिश्ते भी इस मेले में तय होते हैं.

साहित्य के पुरोधा के गांव को तारणहार का इंतजार

लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपियर का गांव कुतुबपुर काश. स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतीक्षा नहीं होती. गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे में है. कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन भी उस गांव को रोशन नहीं कर सका.

चीथड़ों में गुजर बसर कर रहे हैं  भिखारी ठाकुर के परिजन

रविवार को लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने जाने वाले भिखारी ठाकुर का जयंती मनाई गई, लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन कवियों व रीति कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर का परिवार चीथड़ों में जी रहा हो.

भोजपुरी लोकधुन लहरों के राजहंस भिखारी ठाकुर

असीमीत जमीनी जानकारी, सपाट शैली व अलौकिक इल्म ने तब के ‘लोकगायक’ भिखारी ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय उंचाई दी. अति सामान्य इस व्यक्ति की लोक समझ, शोध प्रबंधों का साधन बन गई. भोजपुरी के प्रतीक भिखारी ठाकुर अपनी प्रासंगिक रचनाधर्मिता के कारण भारतीय लोक साहित्य में ही नहीं, सात समुंदर पार मारीशस, फीजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं.

यहीं भगवान श्रीराम ने किया था अहिल्या का उद्धार

अपने देश में तीन स्थानों पर स्नान और मेला एक ही समय कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिन शुरू होता है. वह है बिहार का सोनपुर, बलिया का ददरी मेला और छपरा (बिहार) का ही कोनिया मेला. आप सोनपुर और ददरी मेला के विषय में तो बहुत कुछ जानते होंगे, किंतु छपरा जिला मुख्यालय से महज दस किमी की दूरी पर स्थित पैराणिक गोदना, वर्तमान में रिविलगंज, के विषय में कम जानते होंगे.

अभिभावकों के उम्‍मीदों के बोझ तले बचपन

कार्तिक पूर्णिमा के सांथ-सांथ बाल दिवस पर भी आप खूब इन्ज्वाय किए होंगे. इसलिए हम भी चर्चा की शुरूआत बच्‍चों से ही करें. जगजाहिर है कि अभी के समय में हर अभिभावक अपने बच्‍चों के बेहतर भविष्‍य बनाने की चिंता में डूबा है. यह सही भी है कि बच्‍चे हमारे भविष्‍य, हमारी उम्‍मीदें और सपनों को साकार करने वाले हैं.