बिल्थरारोड, मनियर, रेवती, बैरिया में दर्जन भर से अधिक गांवों में पहुंचा घाघरा का पानी

बलिया। घाघरा में बढ़ रहे जलस्तर के बीच जिला प्रशासन  की भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर लगतार नजर है. रविवार की सुबह जिलाधिकारी सुरेंद्र विक्रम ने बेल्थरा क्षेत्र में जाकर घाघरा नदी के तटवर्ती इलाकों की स्थिति देखी. उन्होंने हल्दीरामपुर में जाकर हो रहे कटान की स्थिति जायजा लिया. आसपास के ग्रामीणों से पूछकर कटान की कहां स्थिति भयावह है, इसके बारे में जानकारी ली. कटान हो रही देख मौके से ही अधिशासी अभियंता बाढ़ को वहां कटानरोधी कार्य कराने का निर्देश दिया, साथ ही तहसीलदार को स्थिति  पर हमेशा नजर रखने को कहा. ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि किसी भी स्थिति से निपटने व राहत पहुचाने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है. बाढ़ विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि हर बंधे की निगरानी लगातार रखा जाए. हर हाल में सभी तटबन्ध सुरक्षित रहेंगे.

इसी क्रम में घाघरा का जलस्तर अब पाटे से निकलकर गांवों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. घाघरा का पानी किसानों की फसलों को डुबोते हुए रविवार को बिल्थरारोड, मनियर, रेवती, बैरिया आदि क्षेत्रों में दर्जन भर से अधिक गांवों में प्रवेश कर गया, जिससे बाढ़ पीड़ितों को राशन सहित मवेशियों को चारा आदि जुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इन क्षेत्रों में सड़क पर बाढ़ का पानी चढ़ जाने से दो दर्जन से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है. बिल्थरारोड तहसील क्षेत्र में घोसी सांसद हरिनारायण राजभर का गांव छोटकी टंगुनिया की सड़क बाढ़ में डूब गई है, जिससे प्रभावित गांव के लोगों को पानी में डूबी सड़क से होकर जान जोखिम में डालकर ही आना जाना पड़ रहा है. हालांकि कुछ जगहों पर प्रशासन ने नाव की व्यवस्था की है, लेकिन ग्रामीण नावों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

बिल्थरारोड में घाघरा का जलस्तर तुर्तीपार हेड पर खतरा निशान 64.010 मीटर से 97 सेमी ऊपर पहुंच गया है. केंद्रीय जल आयोग तुर्तीपार के अनुसार नदी का जलस्तर रविवार को तीन बजे 65.980 मीटर दर्ज किया गया. नदी का जलस्तर तेजी से 1998 में आई बाढ़ के दौरान उच्चतम रिकार्ड की तरफ बढ़ रहा है, किंतु अभी से ही बाढ़ की तबाही जारी है. नदी के दूसरे छोर पर देवरिया जनपद के तटवर्ती इलाकों में बने विशाल स्पर ठोकर के कारण नदी का बहाव ही पूरी तरह से घुम गया है और नदी की मुख्य धारा सीधे बिल्थरारोड के कई तटवर्ती गांवों की आबादी से टकरा रही है, जिससे भयावह स्थिति बन गई है.

नदी का जलस्तर एक सप्ताह से निरंतर बढ़ाव पर है. रविवार को चांदपुर में नदी डेंजर लेबल 58 मीटर से 1.16 मीटर ऊपर पहुंच गई. 24 घंटे में नदी का जलस्तर 24 सेमी बढ़ने से डेंजर जोन तिलापुर में दबाव बढ़ता जा रहा है. नदी के दबाव को नियंत्रित करने के लिए डेंजर जोन तिलापुर में दो मीटर चौड़ा व 100 मीटर लंबा जालीदार बोल्डर से प्लेटफार्म तैयार कर उसे सीमेंटेड बोरी से पाटने का कार्य युद्ध स्तर चल रहा है. उधर फ्लड जोन में बंधा के उत्तर बसे नवकागांव, देवपुर मठिया, मठनाग, धूपनाथ व बैजनाथ के डेरा आदि गांव के लोग चारों तरफ बाढ़ के पानी का घेरा बना हुआ है. वशिषठनगर के पूर्व प्रधान धूपनाथ यादव ने बताया कि बंधे तक आने जाने के लिए कम से कम दो नाव लगाने से कुछ परेशानी कम हो सकती है, लेकिन अब तक प्रभावित गांवों के लिए सिर्फ एक नाव की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है.

जयप्रकाशनगर में रविवार से घाघरा का पानी गांवों की ओर बढ़ने लगा है. इससे क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होने लगी है. इस क्षेत्र में घाघरा से प्रभावित होने वाले गांव इब्राहिमाबाद नौबरार व चांददियर पंचायत है, जबकि गंगा से प्रभावित होने वाले गांव जयप्रकाशनगर के भगवान टोला, भवन टोला, दलित बस्ती आदि हैं. चांददीयर पंचायत के लोगों को घाघरा की प्रलयकारी लहरें प्रतिदिन दीमक की तरह खोखला करती जा रही हैं. घाघरा की लहरें चांद दियर पंचायत के किसान पारस यादव ,रामचंद्र यादव, देवता सिंह, बृज सिंह, सीताराम सिंह, जौलेंद्र सिंह आदि के करीब पचास एकड़ कृषि योग्य भूमि को अपने आगोश में ले चुकी हैं. कटान पीड़ित ग्राम प्रधान प्रतिनिधि बीरेंद्र यादव, राजेंद्र यादव, सूचित यादव, रवींद्र साह का कहना है कि पंचायत में जब राजनीतिक लोगों को वोट की आवश्यकता पड़ती है तो आकर तमाम बड़े-बड़े लुभावने वादे करते हैं, लेकिन आज इस पंचायत में हो रहे कटान के संबंध में इस पंचायत का हाल जानना भी मुनासिब नहीं समझते.

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