बाढ व कटान क्षेत्र में गूंजा -होखी ना सुरूज देव सहाय

बैरिया (बलिया)। इलाके के खास कर बाढ़ व कटान प्रभावित इलाके में आस्था के महापर्व छठ पर रविवार की शाम हर्ष के माहौल में भी व्रती महिलाओं के वेदना के स्वर मे “सुरूज देव होखी ना सहाय” की गूंज रही. मानो सूर्य से अपने परिवार की सुख समृद्धि व आगामी रबी की खेती के लिए याचना कर रही हो.

द्वाबा के छठ व्रती बनारस में भी अपना दबदबा बनाए रहे
द्वाबा के छठ व्रती बनारस में भी अपना दबदबा बनाए रहे

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शाम चार बजे से ही रंगबिरंगे परिधान में सुसज्जित महिलाएं गीत गाती अपने बच्चों व परिवार जनों के साथ घाटों की ओर चल दी. नदी किनारे, उपासना स्थलों व गांव मुहल्लों के निर्धारित छठ पूजा स्थलों पर ग्राम प्रधानों, समाजसेवियों, युवादल आदि द्वारा पहले से साफ सफाई, साजसज्जा व रोशनी की व्यवस्था की गयी थी. अधिकांश जगहों पर घाट तक जानेवाले रास्तों पर सफाई व जल छिड़काव किया गया था.

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फुलेश्वर नाथमन्दिर व भागड नाला रानीगंज बाजार, सुरुजन बाबा पोखरा व पाण्डेय जी का शिवाला आदि विशेष ढंग से सजाया गया. इब्राहिमाबाद नौबरार में ग्राम प्रधान रूबी सिह ने अपने स्तर से व्यवस्था करायी व खुद भी पूजन की. दूबेछपरा मे हाइवे के दोनो किनारों पर व्रती महिलाओं ने पूजन किया. उधर, गंगा व घाघरा नदी तटवर्ती गावों की महिलायें दर्जनभर घाटों पर पूजन अर्चन की. इस बार बाढ़ व कटान की भीषण विभीषिका झेल चुके तटवर्ती व दियरांचल क्षेत्र मे भी परम्परागत ढंग से सूर्य की पूजा की गयी.

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बडे उदास दिखे वो जिनके सामान नही बिके

छठ पर्व पर रानीगंज, बैरिया, रामगढ, सीवनटोला, लालगंज, दोकटी आदि बाजारों के अलावा ग्रामीण हाटों में भी छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाले सामानों की हजारों दुकानें लगी थी. उम्मीद के प्रतिकूल बाजार पर महगाई हावी रही. लोगों ने इस पूजा में हाथ खोल कर खर्च करने की जगह खरीदारी में मुट्ठियां बांध कर ही खर्च किया. जिसका असर रहा कि बाजारों में काफी सामान बिन बिके ही रह गया. ऐसे दुकानदारों में मायूसी दिखी, जिनके सामान काफी मात्रा में बचे रह गये.

बच्चों में दिखा खूब उत्साह, देर रात तक चली आतिशबाजी
इस अवसर पर बच्चे बहुत उत्साहित रहे. देर रात तक आतिशबाजी व पटाखों का धूम धड़ाका होता रहा.

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