बलिया : नंदी ग्राम में पशु मेला के साथ शुरू हुआ ऐतिहासिक ददरी मेला पूरे शबाब पर है. हालांकि झूला, चरखी जैसे मनोरंजन के साधन पर प्रशासन की ओर से प्रतिबंध के कारण शुरू में कुछ फीका रहा. मेले में अपनी दुकानें लगाने वालों के चेहरे भी मुरझाये हुए थे. अब सभी चेहरों पर एक ही भाव दिखता है- और वह है खुशी का.
प्रशासन की ओर से इसकी इजाजत मिलने पर तो जैसे मेले देखने वालों की भीड़ ही उमड़ पड़ी. मेले में दुकान लगाने वालों की बांछें खिल गयी. आलम यह है कि दुकानदारों को मिनट भर के लिए फुर्सत नहीं होती. एक के बाद तो क्या, एक के साथ-साथ दूसरा भी शामिल हो जाता है.
मेले में आने के लिए लोग घर के काम जितनी जल्दी हो सके, निबटाने में लग जाते हैं. और फिर मेले की खुशगवार फिजा. चारों तरफ हंसते-खिलखिलाते लोग. कोई शॉल-कम्बल की दुकानों में पहुंचे हुए हैं तो कोई क्रॉकरी के स्टॉल्स पर. कोई लेटेस्ट जूते-चप्पल की दुकानों पर जमे है तो मॉडर्न ड्रेसेज की दुकान पर. कोई मिठाई का मजा ले रहे हैं तो कोई नमकीन का.
छुट्टी का दिन होने के कारण सप्ताह के रविवार के दिन तो मेला जैसे गुलजार हो जाता है. संडे यानी फन डे.
वहीं चरखी, टोरा टोरा, ड्रैगन टेन, रोलर कोस्टर, नाव का रोमांच लेने के लिए बच्चे से लेकर बड़े तक उत्सुक नजर आ रहे हैं. खासकर बच्चों के उत्साह को तो कहना ही क्या !