Category: बतकही
बतकही – कुछ और नहीं, बलिया लाइव का ब्लॉग है. यहां आप विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की बातें सुन सकते हैं.
उरी के आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश व समाज की आम प्रतिक्रिया तो यही है कि भारत पाकिस्तान पर हमला करे और उसे उसकी औकात बताये. कुछ ऐसी ही सोच बैरिया क्षेत्र के अवकाश प्राप्त सैनिक रखते हैं. उनका दो टूक मानना है कि अब किसी भी हाल में अगले आतंकवादी कारनामे की प्रतीक्षा किए बिना पाक की नापाक हरकतों को जड़ से समाप्त करने के लिए भारत सरकार को आक्रामक होना चाहिये.
सार्वजनिक वितरण अन्तर्गत बैरिया तहसील में वितरण के लिए अन्त्योदय का लगभग 2436 कुन्तल गेहूं, 1135 कुन्तल चावल व 865 कुतल चीनी तथा पात्र गृहस्थ परिवारों के लिये 8 हजार कुन्तल गेंहू व लगभग 5 हजार कुन्तल चावल प्रतिमाह आता है. फिर भी लाभार्थियों में नहीं मिलने का राग ही सुनने को मिलता है. होने वाली शिकायतें दबा दी जाती हैं.
थोड़े समय पूर्व तक यह उपवास सिर्फ पुत्रों के लिए किया जाता था. लेकिन “जितिया पावैन” एक अपभ्रंश है. इसका सही नाम होता है जीविकपुत्रिका व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत). ध्यान दीजिये, यहां “पुत्री” शब्द है, पुत्र नहीं. धीरे धीरे कभी पिछले हज़ार-बारह सौ सालों की गुलामी में इसका स्वरूप बिगड़ा और यह सिर्फ पुत्रों के लिए हो गया.
बलिया से निकलेगी विराट स्वदेशी संदेश यात्रा. प्रांत संगठन अजय कुमार ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच ने अपने प्रांतीय सम्मेलन के माध्यम से चलो गांव की ओर अभियान का शुभारंभ करने जा रहा है. साथी विराट स्वदेशी संदेश यात्रा का आयोजन 25 सितंबर को दोपहर 1:30 बजे से बलिया की नया चौक से होगा. इस संदेश यात्रा के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी के शुभारंभ का कार्यक्रम उसी दिन सायं 3:30 बजे प्रारंभ होगा.
स्वतंत्रता संग्राम हो या सियासत, देश में बलिया को ऊंचा मुकाम हासिल है. मगर उद्योग के नाम पर उसके खाते में आए सिर्फ दो कारखाने – एक चीनी मिल और एक कताई मिल. जो यहां के जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के चलते कई सालों से बंद पड़े है. जिससे लोगो को रोजगार के लिए दूसरे प्रान्तों के महानगरों के तरफ पलायन करना पड़ रहा है. रही सही कसर पूरी कर देती हैं यहां की जर्जर सड़कें, विकास में सबसे बड़ी बाधा तो वहीं हैं.
अमित शाह की माने तो यूपी के विकास में सबसे बड़े रोड़ा हैं सपा और बसपा. शाह ने मऊ की रैली व अति दलितों और अति पिछड़ों की महापंचायत में शनिवार को राहु-केतु करार दिया. इस मौके पर शाह ने कभी मुख्तार अंसारी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर की भारतीय समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन की घोषणा की. साथ ही बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह विलय नहीं, सिर्फ गठबंधन है. जाहिर है भाजपा यूपी की चुनावी बिसात पर जात की गोटिया सेट करने में जुटी हुई है.
विकास भवन में एक साथ मुख्य विकास अधिकारी के बालाजी, परियोजना निदेशक प्रमोद कुमार यादव, जिला विकास अधिकारी जगत नारायण राय का तबादला शासन स्तर से अन्य जनपद के लिए किए जाने से हड़कंप मचा हुआ है. इन तबादलों को लोग 16 जून को जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के सहायक अभियंता उमेश चंद्र गुप्ता के साथ हुए हाईप्रोफाइल बवाल से जोड़ कर देख रहे हैं. इस कार्रवाई के बाद लोग मानने लगे हैं कि इसके बाद जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के बाबुओं का तबादला तय है. मुख्य विकास अधिकारी के बालाजी का तबादला भूमि सुधार निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर शासन ने कर दिया है.
मंगल पांडेय विचार मंच उत्तर प्रदेश की बैठक रविवार को अमर शहीद के पैतृक गांव नगवा में हुई. मंच के सदस्य दयानंद मिश्र ने कहां की मंगल पांडेय उस शख्सियत का नाम है, जिन्होंने ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की. उन्होंने एक ऐसी चिंगारी पैदा की, जिसके आग में ब्रिटानिया हुकूमत खाक हो गई. उन्हीं के बदौलत आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं. बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृष्ण कांत पाठक ने कहा कि उनकी स्मृतियों को संजोए रखने के लिए समय-समय पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएंगी और सफल प्रतिभागियों को मंच की ओर से सम्मानित किया जाएगा.
अद्भुत संकल्प, अटूट निष्ठा और अनवरत प्रयास का नतीजा है, जयप्रकाश नगर (जेपी की जन्मभूमि) में जेपी स्मारक. अकेले चंद्रशेखर के साहस और निष्ठा से ही जेपी की जन्मभूमि में अनूठा स्मारक बनाने का स्वप्न साकार हुआ है. वस्तुत: यह स्मारक असंभव कल्पना का साकार रूप है, जो घोर देहात के वाकिफ नहीं हैं, उन्हें बिना यहां का भूगोल जाने शायद इस कथन पर यकीन न हो. हिंदुस्तान की दो मशहूर नदियों गंगा और घाघरा के बीच बसा है सिताबदियारा. यहीं दोनों नदियों का संगम भी है.
बलिया कलेक्ट्रेट परिसर में एडीएम कार्यालय के बगल में भारत सरकार के मौसम विभाग नें ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन की स्थापना की थी, परंतु उसकी देखभाल की जिम्मेदारी किसी को नहीं सौंपी गई. नतीजतन वहां स्थान जंगल में तब्दील हो चुका है, मगर किसी के कान पर जू तक नहीं रेंग रहा है. हैरत की बात तो यह है कि जिला प्रशासन के पास इसके लिए फुरसत ही नहीं है.