दुबहर, बलिया. होली, बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक है. यह त्यौहार जीवन में नवस्फूर्ति, चेतना, उमंग, स्नेह एवं आनंद का अनुभव कराता है. साथ ही मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, भाईचारे एवं नैतिकता का संदेश भी देती है. अपने पुराने भेदभाव को भूलकर सबसे गले मिलने का त्योहार है होली. उक्त बातें सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने शिवपुर दीयर नई बस्ती ब्यासी स्थित मंगल चबूतरा पर पत्रकारों से बातचीत में कही.
लोक कलाकार एवं संगीतकार विद्यार्थी ने कहा कि आज किसी भी समारोह, उत्सव और त्योहार के अवसर पर डीजे की अश्लील धुनों पर डांस करना फैशन बन गया है. युवाओं को इससे दूर रहने की आवश्यकता है. तेज आवाज वाले डीजे की ध्वनि हृदय, अस्थमा एवं कमजोर व्यक्तियों के लिए घातक साबित हो सकता है. होली के अवसर पर कुछ लोग शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर धमा-चौकड़ी करते हैं. ऐसी घटनाएं होली त्योहार की पवित्र परंपरा को नष्ट करती है.
श्री विद्यार्थी ने कहा कि आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. हमें प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने सभी लोगों से प्रेम-पूर्वक भाईचारे के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में होली मनाने की अपील की.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट )