दस व बारह किलो की दो लिट्टी, दाव से काट टुकड़ा करके चटखारे लेकर दमका के खाए लोग

     

आचार्य सुनील द्विवेदी 

हल्दी(बलिया)। बलिया के प्रमुख खान पान की वस्तु की चर्चा हो और उसमें अगर लिट्टी-चोखा का नाम न हो तो वह बात ही बेमतलब होती है. राजनीतिक जगत में चर्चा हो तो कभी ‘चन्द्रशेखर जी की लिट्टी’ और आज के दौर में सांसद भरत सिंह द्वारा दिल्ली में अपने सांसद आवास पर लिट्टी चोखा की दावत खास मायने रखती है. जंगे आजादी के दौरान बागी बलिया के क्रान्तिकारी खाने और पोटली बांध कर सुबह के लिए भी साथ जो ले चलते थे वह लिट्टी ही हुआ करता था. किसी के यहाँ हरिकीर्तन, रात की कोई सभा या फिर दोस्तों की मजलिस, चुनाव प्रचार बिना लिट्टी चोखा के हो मानना मुश्किल है.

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लिट्टी चोखा पर ही तो भाजपा सांसद व प्रसिद्ध भोजपुरी गीत गायक मनोज तिवारी मृदुल ने “इंटर नेशनल लिट्टी-चोखा, जे खाइल ना खइलस धोखा” काफी महत्वपूर्ण रहा. बलिया जिले के अन्दर जो यहां के स्थाई निवासी हैं, जो यहां रहते हैं वह तो सप्ताह में जरूर इस परम्परागत खाद्य का आनंद ले ही लेते हैं, बलिया मूल के जो लोग बाहर नौकरी, व्यवसाय या अन्य रोजगार साधनों में लगे हैं, वह भी इस खाद्य को त्याम नही पाते. उनके गांव आगमन पर जो सबसे पहली डिमांड होती है वह लिट्टी चोखा की ही होती है. आम तौर पर बलिया जनपद के रहवासी खासतौर से शनिवार की शाम लिट्टी-चोखा ही बनवाते हैं. भले ही यह अंध विश्वास हो या जायका बदलने का नजरिया ऐसा गंवई क्षेत्र में कहा जाता है कि शनिवार की शाम लिट्टी चोखा खाने से शत्रु का नाश होता है.

आम तौर पर लिट्टी चोखा पुरुष ही बनाते हैं, लेकिन इस पाक कला में महिलाएं भी कहीं से कम नहीं. इसके स्वाद, जायका के लिए अक्सर अलग अलग प्रयोग किए जाते रहते हैं. कभी आटे को गूंथने में खांटी देशी घी का प्रयोग, तो कभी सतुही की भभरी को और से भी और बेहतर बनाना तो कभी उसके आकार को लेकर खास करना, छोटी-छोटी लिट्टी, मध्यम आकार की लिट्टी, बड़ी लिट्टी तो ‘दबिल दंड़ास लिट्टी’ की चर्चा होती रहती है.

व्यक्ति बलिया का हो या जो यहां आया और मेहमानवाजी में लिट्टी चोखा का स्वाद चखा और उसके सामने बलिया के भोजन की चर्चा चल जाय उसके सामने लिट्टी-चोखा का नाम आते ही मुंह से पानी आ जाना साधारण सी बात है. इस स्वादिष्ट व्यंजन(लिट्टी-चोखा) को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए नया कर दिखाया है बलिया के पिपराकला निवासी एक पाक कलाकार ने 12 किलो आटा का एक लिट्टी बना कर. खाने वाले अंगुलियां चाटते रह गए.
विकास खंड बेलहरी के राजपुर गांव निवासी डा.रविन्द्र यादव के यहां 24 घंटे के लिए अखंड श्री भगवन्नाम संकीर्तन था. शाम को अतिथियों के भोजन के लिए लिट्टी-चोखा का प्रोग्राम रखा गया था. जिसमें नरही थाना क्षेत्र के पिपराकला निवासी सुरेंद्र गोड़ को लिट्टी-चोखा बनाने के लिए बुलाया गया था. सुरेन्द्र ने 12 किलो वजन का एक लिट्टी व 10 किलो वजन का दूसरा लिट्टी बनाया. जिसे भोजन के वक्त दाव से काट कर 200-250 ग्राम का किया गया. लोग बड़े ही चाव से लिट्टी-चोखा खाये, उसके जायका, स्वाद और चटपटे पन का खुले मन से तारीफ किए. सुरेन्द्र ने बताया जनपद के लोग हरिकीर्तन, रामायण, सुन्दरकाण्ड के अलावा अन्य छोटे अवसरों पर मुझे लिट्टी-चोखा बनाने के लिए बुलाते है. पूरे जिले में घूम घूमकर लिट्टी बनाने का काम करता हूँ, हर बार पहले से कुछ बढिया करने की कोशिश करता रहता हूं.

लोगों के रुचि के मुताबिक लिट्टी बड़ी, छोटी होती है.आटे को गुथते समय घी का इस्तेमाल किया जाता है. जब कहीं बुलवा नहीं रहता है तो घर पर रहकर मेहनत-मजदूरी व खेती का काम करता हूँ. लोगों ने बताया कि खाने में यह केक की तरह मुलायम हो गया था, और काफी स्वादिष्ट था.सभी लोगों ने काफी पसंद किया. हमे भी खुशी हुई.

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