बैरिया में नेता मस्त, बाढ़ पीड़ित त्रस्त

वक्त के साथ बैरिया में भी राजनीति हाईटेक हो चुकी है. टॉप लेवल के नेताओं को दिल्ली/लखनऊ से फुर्सत नहीं है और उनके चेले चमचे जिला मुख्यालय से फेसबुक VIRENDRA_N_MISHRAऔर व्हाट्स ऐप से जन सेवा करने लगे हैं. विरोधी जन समस्याओं पर धरना प्रदर्शन बस अपने पंडी जी से पूछ कर किसी शुभ मुहूर्त पर ही यदा कदा करते हैं. करीब पौने तीन करोड़ बाढ़ राहत के नाम पर खर्च हो गया, मगर बहुतेरे पीड़ित अब भी बाट जोह रहे हैं. लोगों का कहना है कि पीड़ितों के बजाय कालाबाजारियों को पहुंचा दी गई राहत सामग्री. जनता भी खामोश है. कारण साफ है मिशन 2017. जनता के लिए भी तो हिसाब किताब का यही एक मौका होता है. द्वाबा की नब्ज टटोलती बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र की रिपोर्ट

विधान सभा चुनाव की दहलीज पर खड़े बैरिया विधान सभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर है. हालात ऐसे बन गए हैं कि यहां का समाज अब शोषित, शोषक व शोषक के चमचे तीन हिस्सों में बंट गए हैं. भ्रष्टाचार की होने वाली शिकायतों पर कार्रवाई के नाम पर भ्रष्टाचार और भी ज्यादा व महंगा होता जा रहा हैं.

इसे भी पढ़ें – बैरिया में ब्लॉक प्रमुख ने मांगे विकास के प्रस्ताव

शिकायतों का असर नहीं होने पर लोग अब शिकायतें करना ही नहीं चाहते. परम्परागत पक्ष व विपक्ष की बातें यहां अब महत्वहीन हो गयी हैं. राजनीतिक दलों के बड़े पदाधिकारी (सांसद, विधायक) लखनऊ व दिल्ली में ज्यादा समय दे रहे हैं. उनके नीचे के नेता लखनऊ नहीं तो बलिया में ही डेरा जमाकर वाट्स ऐप व फेसबुक से जनता की सेवा कर रहे हैं.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

इसे भी पढ़ें – बैरिया के युवा बोले- अब जुमलेबाजी नहीं, सीधे कार्रवाई हो

विरोध के नाम पर कभी कभार धरना प्रदर्शन का कर्मकांड, फिर लम्बे समय के लिए लुप्त हो जा रहे हैं. प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से अपनी निकटता प्रदर्शित करने के लिए फेसबुक का सहारा ले ले रहे हैं. जबकि हालात ऐसे है कि अभी बाढ़ व कटान आपदा से द्वाबा गुजरा है. बाढ़ पीड़ितों की बहुत सी समस्यायें हैं. प्रदेश सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिये राहत व राहत सामग्री के नाम पर अब तक बैरिया विधान सभा क्षेत्र में दो करोड़ 66 लाख रुपये खर्च कर चुकी है. फिर भी पीड़ितों में असन्तोष है. सैकड़ों पीड़ित अभी भी राहत न मिलने का रोना रो रहे हैं. ऐसा क्यों ? विचारणीय है.

इसे भी पढ़ें – लखनऊ में सत्ता संग्राम, बैरिया में उपलब्धियों का बाम

उदाहरण भी है कि तीन दिन पहले मुरलीछपरा ब्लाक के शिवपुर कपूर दियर ग्राम पंचायत में बाढ पीड़ितों के लिये रखे गये राहत सामग्री में से 40 पैकेट राहत सामग्री ठेले पर लाद कर ले जाते लोगों को ग्रामीणों ने रात में 11 बजे के लगभग पकड़ा. पुलिस, लेखपाल, तहसीलदार सभी आये. लेखपाल ने उन्हें बाढ़ पीड़ित व सामग्री उनका बताया. लीपापोती कर दी गयी. लेकिन रात में 11 बजे वितरण क्यों ? इसका किसी के पास जवाब नहीं. जबकि लोगों का आरोप है कि बाढ पीड़ितों के लिये आए खाद्यान्न में आधे से ज्यादा तहसील प्रशासन ने कालाबाजारियों के हवाले कर दिया है. क्योकि बलिया आए कैबिनेट मन्त्री शिवपाल यादव ने मंच से घोषणा की थी कि एक भी बाढ़ पीड़ित राहत से बचने न पाये. फिर असन्तोष की वजह रात के 11 बजे वाला कारण ही हो सकता है.

इसे भी पढ़ें – बरसात से बैरिया रेवती मार्ग पर बना खड्ड

सत्ता व विपक्ष बस चुप है. यही नहीं, सार्वजनिक वितरण अन्तर्गत बैरिया तहसील में वितरण के लिए अन्त्योदय का लगभग 2436 कुन्तल गेहूं, 1135 कुन्तल चावल व 865 कुतल चीनी तथा पात्र गृहस्थ परिवारों के लिये 8 हजार कुन्तल गेंहू व लगभग 5 हजार कुन्तल चावल प्रतिमाह आता है. फिर भी लाभार्थियों में नहीं मिलने का राग ही सुनने को मिलता है. होने वाली शिकायतें दबा दी जाती हैं.

इसे भी पढ़ें – बैरिया के पांडेयपुर में बाढ़ में फंसे हैं लोग

इस प्रकरण में नाम न छापने की शर्त पर एक कोटेदार ने बताया कि बांटेगें तो काम कैसे चलेगा. पहले पूर्ति निरीक्षक शैलेन्द्र सागर सिंह का विरोध कोटेदारों ने इस लिए किया कि एक कुन्तल अनाज पर सुविधा षुलक 30 रुपये देना पड़ता था. वह 40 रुपये मांगने लगे थे. विधायक जी के हस्तक्षेप से उस पूर्ति निरीक्षक का स्थानान्तरण हुआ. अब एक कुन्तल पर 70 रुपये खर्च आ रहा हैं. यह भी बताया कि इस कुन्तल पीछे लगने वाली सुविधा शुल्क में चरणबद्ध ढ़ंग से एसडीएम, पूर्तिनिरीक्षक, हाटनिरीक्षक, क्लर्क, पल्लेदार व ट्रैक्टर का लगता है.

इसे भी पढ़ें – 18 अगस्त 1942, बैरिया में कौशल किशोर सिंह ने फहराया था तिरंगा

सवाल भी किया कि जब कदम कदम पर चांदी की जूती चलानी पड़ रही है तो कोटेदार से इमानदारी की उम्मीद कैसी? यही हालात मुरलीछपरा में आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों के आन्दोलन का हुआ. वहां भी पहले से डेढ़ गुना सुविधा शुल्क पर मानना ही पड़ा. बैरिया विधान सभा क्षेत्र के अन्दर खाने में अजीब सी खामोशी भरी हलचल है. एक एक कर आये ताबड़तोड़ चुनावों ने यहां के लोगों की उस भोली मानसिकता जिसमें गड़बड़ियों पर तुरन्त मंच लगाकर विरोध प्रकट करना और भटकते नेता को राह पर लाना, अब छोड़ सतर्कता का लबादा ओढ़ लिया है.

इसे भी पढ़ें – और थथम गया बलिया-बैरिया बांध

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE