भूपेंद्र की मौत की सूचना से टोला सेवक राय में पसरा मातम

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बैरिया (बलिया)। भारत सरकार द्वारा 22 जुलाई को पोर्ट ब्लेयर से लापता वायु सेना के विमान एएन-32 के 29 यात्रियों को मृत घोषित किए जाने की सूचना से दोकटी थाना क्षेत्र के टोला सेवक राय गांव में मातम सा पसर गया. इस विमान में इसी गांव के भूपेन्द्र सिंह (50) भी सवार थे.

भूपेंद्र सिंह के माता-पिता
भूपेंद्र सिंह के माता-पिता

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अब तक सरकार द्वारा विमान के यात्रियों की तलाश किए जाने के चलते जुलाई से गांव में उदासी के बीच भी उम्मीद जगी हुई थीं. लेकिन शुक्रवार को सभी यात्रियों के मृत घोषित किए जाने की सूचना ने भूपेन्द्र के माता-पिता, पत्नी,  बेटे,  बेटियों व पूरे परिवार व उनके शुभचिंतकों की भूपेन्द्र के लौट आने की उम्मीदों को खत्म कर दिया है. भूपेन्द्र के पिता रणजीत सिंह (पूर्व प्रधानाचार्य) की हालत देख कर उनके छोटे भाई राजेश्वर सिंह (सेवानिवृत आनरेबल लेफ्टिनेन्ट कर्नल, जलसेना) ने शनिवार को भूपेन्द्र की प्रतीकात्मक श्राद्ध कर्म की शुरुआत की.

भूपेंद्र सिंह के चाचा
भूपेंद्र सिंह के चाचा

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प्रतीकात्मक कुश के पुतले के दाह के समय गांव का हर शख्स बिलख उठा. ज्ञात रहे कि दोकटी थाना क्षेत्र निवासी भूपेन्द्र सिंह पोर्ट ब्लेयर से वायु सेना के लापता विमान एएन-32 में 29 यात्रियों में से एक थे. भूपेन्द्र सिंह भारतीय नौ सेना से 2010 में पीटी आफीसर पद से रिटायर हो गये थे. पुनः 2015 में उन्हें विभाग द्वारा आयुध भण्डार में क्वालिटी इंस्पेक्टर के पद पर आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में नियुक्त किया गया था. वह 20 जुलाई को अपनी पत्नी से बता कर गए कि चेन्नई जा रहे हैं. वहां से 22 जुलाई को पोर्ट ब्लेयर के लिए अपने विभाग के 8 जवान व वायु सेना के अन्य जवानों के साथ जाना है. इस कार्यक्रम के अनुसार वह चेन्नई पहुंच गए थे. चेननई से अपने पत्नी से बात कर पोर्ट ब्लेयर के लिये एएन-32 में सवार होकर उड़ान भरे.

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उनकी पत्नी संगीता देवी के अनुसार विभाग के एक जवान द्वारा उसी दिन करीब साढ़े तीन बजे यह बताया गया कि उनका विमान लापता हो गया है. इस सूचना से पूरे परिवार के लोग चिन्तित हो गये. इधर, उनके गांव में उनके वृद्ध पिता रणजीत सिंह, माता मोती सुन्दरी देवी सहित पूरा परिवार चिन्तित हो गया. उनके दरवाजे पर रिश्तेदार से लकर शुभ चिन्तकों तक का तांता लगा. शुक्रवार को वायुसेना द्वारा मृत घोषित किए जाने की सूचना मिलते ही गांव में मातम पसर गया. भूपेन्द्र के दो पुत्र ऋषिकुमार (22) व निखिल सिंह (14) वर्ष है, जो विशाखापट्टनम में अपनी मां के साथ हैं.

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