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जिले के डेंगू मरीज भगवान भरोसे!
जिले के डेंगू मरीज भगवान भरोसे!
दो साल से नहीं संचालित हो सकी है सेपरेशन यूनिट
बलिया. जनपद में डेंगू के मरीज भगवान भरोसे ही जीवित है. जिले का स्वास्थ्य विभाग अब तक प्लेटलेट तैयार करने वाली सेपरेशन यूनिट को भी चालू नहीं कर सका है. जिसके चलते डेंगू मरीजों को प्लेटलेट के लिए वाराणसी जाना मजबूरी हो गई है.
दो साल से सेपरेशन यूनिट का कक्ष बन गया है, मशीन भी आकर रखी गई है, लेकिन अब तक संचालित नहीं हुई है. जिसके चलते जिले के लोगों को प्लेटलेट का घोर अभाव अब तक झेलना पड़ रहा है.
1942 में अंग्रेजों से खुदको आजाद कराने वाले बलिया ने पूरे देश को आजादी का मार्ग प्रशस्त किया. जिले में ट्रामा सेंटर का भवन बना, लेकिन अब तक संचालित नहीं हुआ. जिलाधिकारी ने ट्रामा सेंटर को संचालित करने के लिए कई तरकीबें अपनाई, लिखित निर्देश भी जारी किया.
लेकिन स्वास्थ्य विभाग के तर्कों के चलते अब तक ट्रामा सेंटर संचालित नहीं हो सका. ट्रामा सेंटर के लिए ढाई करोड़ की मशीनें धूल फांक रही है. ट्रामा सेंटर के लिए बना लाखों रूपए का भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है. बानगी तो कई है, लेकिन प्लेटलेट तैयार करने वाली सैपरेटर यूनिट इन दिनों काफी चर्चा में आ गई है. मौजूदा समय में जनपदवासी डेंगू का प्रकोप झेल रहे हैं.
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डाक्टरों के यहां जाने के बाद डेंगू के मरीज को डाक्टर सीधे वाराणसी जाने की सलाह दे देते हैं. जो सक्षम मरीज है, वे वाराणसी जाने में समर्थ हो जाते हैं. अक्षम मरीज भगवान भरोसे जिले में इधर—उधर भटककर बकरी का दूध और पपीते के पत्ते के भरोसे अपना प्लेटलेट बढ़ाने का जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
इनसेट….
सांसद हुए गंभीर, लिखे डीएम को चिट्ठी
बलिया। सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है. पत्र में जिक्र किया कि जनपद के डेंगू मरीजों के लिए प्लेटलेट हेतु ब्लड सेपरेशन यूनिट का निर्माण दो वर्ष पहले ही कराया गया है. इस यूनिट में मशीनें भी आकर रखी है. लेकिन किसी कारणवश यह यूनिट अभी तक संचालित नहीं हुई है। जो कि बहुत बड़ा दुर्भाग्य है. ऐसे में यूनिट को हर हाल में चालू कराया जाए, यदि कोई दिक्कत होती है तो मुझे अवगत कराया जाए.
इनसेट…
…फिर लकीर पीटने लगा स्वास्थ्य विभाग
बलिया। सांप के निकल जाने के बाद जिले का स्वास्थ्य विभाग लकीर पीटने में लग जाता है. इस कहावत की बानगी जिले में अब तक ब्लड सेपरेशन यूनिट का संचालित ना होना माना जा सकता हैंं. दो साल से सैपरेटर यूनिट का कक्ष बन गया है, मशीन भी आकर रखी गई है, लेकिन अब तक संचालित नहीं हुई है. जिसके चलते जिले के लोगों को प्लेटलेट का घोर अभाव अब तक झेलना पड़ रहा है. इस संबंध में सीएमएस डा. एसके यादव ने बताया कि प्रशिक्षित टेक्निशियन यूनिट के कुछ उपकरण के अभाव में अभी तक यूनिट चालू नहीं की जा सकी है. उन्होंने बताया कि उक्त यूनिट में कुल 25 उपकरण लगने हैं. जिसमें अब तक मात्र दस उपकरण ही उपलब्ध हो सकें है.
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आशीष दुबे की रिपोर्ट