जर्जर भवन में रहकर कब तक अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे पुलिसकर्मी

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जर्जर भवन में रहकर कब तक अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे पुलिसकर्मी

दुबहर, बलिया. आखिर कब तक जर्जर भवन में रहकर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएंगे पुलिसकर्मी? एक तरफ जहां सरकार पुलिस विभाग को हाईटेक बनाने के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी तरफ बलिया जनपद में एक ऐसा भी थाना है जो आज भी किराए के भवन में संचालित हो रहा है.

1989 में स्थापित दुबहर थाना एक किराए के भवन में संचालित हो रहा है जिस समय यह थाना अपने अस्तित्व में आया उस समय इस भवन में अस्पताल संचालित होता था. थाने के भवन की हालत बहुत ही जर्जर बनी हुई है.

कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस पर है, जान जोखिम में डालकर दूसरों को सुरक्षा देने वाले दुबहर थाने के पुलिसकर्मियों की जान जर्जर थाना कार्यालय और आवास के बीच असुरक्षित है.
आलम यह है कि हल्की बारिश होने पर भी छत से पानी टपकने लगता है ,जिससे पुलिसकर्मियों को खुद के साथ-साथ अभिलेखों का बचाव करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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ये विपरीत परिस्थितियों में रह रहे हैं. इन जवानों को न सिर्फ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है बल्कि उनके साथ फरियादियों को भी हादसे का डर भी सता रहा है. थाना परिसर पूरी तरह से खुला है न तो कोई बाउंड्री है और ना ही सुरक्षा का विशेष बंदोबस्त सीज की हुई गाड़ियां खुले मैदानों में मजबूरन रखना पड़ रहा है. पूरे विभाग का मेस एक अंधेरे परित्यक्त भवन से संचालित होता है जो स्वास्थ्य विभाग के किसी काम का भी नहीं है.

स्थानीय थाने के कर्मियों का ना तो खाने की सही जगह और नहीं सोने की व्यवस्था, ऐसे में जीवन कितना कस्टमर है यह खाने के नजदीक उपस्थित लोग ही इस बात को जानते हैं. हल्की बूंदाबांदी अथवा बारिश होने पर पूरा थाना भवन चुने लगता है जिससे पुलिस विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ अभिलेखों की सुरक्षा करने का दायित्व भी निर्वहन करना पड़ता है. सार्वजनिक क्षेत्र में जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों का ध्यान अपेक्षित है.

बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट
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