कुदरत के तोहफे दहताल पर अतिक्रमण का ग्रहण

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बांसडीह: तहसील क्षेत्र के बांसडीह मनियर मार्ग स्थित कई गांवों से गुजरते दहताल के नाम से मशहूर इस ताल का अतिक्रमण होने लगा है. इस क्षेत्र मे देवरार हालपुर के सामने स्थित प्राकृतिक जलस्रोत दहताल है.उधर, भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार के साथ ही कई समाजसेवी संस्थाओ द्वारा अभियान चलाया जा रहा है.

कहते हैं कि यह क्षेत्र कभी घाघरा का बहाव हुआ करता था . आज भी घाघरा नदी का पानी ही इस ताल में आता है. गांवों को घाघरा की बाढ़ से बचाव के लिए टीएस बंधा बनने के बाद से यह दहताल अलग हो गया. फिर भी इस प्राकृतिक ताल को विभिन्न गांवों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

कहीं दहताल, कहीं मोतीझील, तो कहीं पकड़ीया ताल के नाम से जाना जाता है. इस दहताल में वर्ष भर पानी जमा रहता है. ताल के किनारे बसे मछुआ समुदाय सहित अन्य लोगो के लिए भी यह ताल जीविका का साधन है.

इस दहताल में कई प्रजातियों की मछलियां पाई जाती हैं. यहां की रोहू मछली प्रसिद्ध है. इस ताल से इसकी आपूर्ति दूसरे प्रदेशों में भी होती थी. रोहू और भाकूर मछलियां ट्रेन से पूर्वी राज्यों में आपूर्ति की जाती थी. मछलियों के अभाव मे मछुआरों का यह व्यापार भी सिमट गया.

धीरे-धीरे यह ताल अतिक्रमण के कारण सिमटता चला गया. मछलियां मारने वाले पतली जाल लगा कर छोटी मछलियां तक मार कर बेच देते. इससे दहताल में मछलियों का प्रजनन कम होता गया.

अब स्थिति यह है कि दहताल के नाम पर अगल बगल के पोखरों से मछलियों को लाकर दह के नाम पर लोग बेच देते हैं. आज भी दहताल किनारे के लोग टोकरियों में मछलियों को रखकर दहताल की मछली के नाम पर बेचते हैं. खरीदारों की भीड़ भी लगी रहती है.

इस प्राकृतिक जलस्रोत दहताल में शीत ऋतु में सैलानी पक्षियां भी आती है. अतिक्रमण के उनका आना भी कम हो रहा है. ताल का स्वरूप भी बिगड़ रहा है. इस दहताल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने दो बार प्रयास हुए.

जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी तब केंद्र सरकार के धन से हालपुर के सामने ताल में पक्का घाट बनना शुरू हुआ था. सरकार बदली और योजना भी हवा हो गयी.

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे कलराज मिश्रा ने घोघा के सामने दहताल पर बने पुल का उद्घाटन किया था. तब सैदनाथ महादेव मंदिर पर हुई सभा में इस ऐतिहासिक ताल को विकसित करने की बात कही थी.

उस मार्ग से रोज प्रशासनिक अधिकारी, राजस्व के लोग आते हैं लेकिन किसी की निगाह इस ताल पर नहीं पड़ती हैं. सड़क के पूरब दहताल का जो रकबा है वह राजस्व गांव मुडीयारी में पड़ता है और सड़क के पूरब दर्जनों पक्के निर्माण का क्रम बदस्तूर जारी है.