कश्‍मीर समस्या को बखूबी उकेरा है इमरान और दीया के वेब शो ने

अनुच्‍छेद 370 हटाये जाने के बाद बॉलीवुड ने जिस गर्मजोशी से इस कदम का स्‍वागत किया और कहा कि अब वहां के हालत बदलेंगे. लेकिन बॉलीवुड, कश्‍मीर और वहां के कन्फ्लिक्‍ट से कितना वाकिफ है, ये सवाल उठता है. ऐसे में दीया मिर्जा, इमरान हाशमी और राजीव खंडेलवाल के वेब शो से बॉलीवुड के फिल्ममेकरों को प्रेरणा लेने की जरूरत है.

आपको बता दें भारत ने बीते सालों में एक लड़ाई जो सबसे अधिक लड़ी है, वह पाकिस्‍तान के साथ है और उसका ग्राउंड जीरो कश्मीर है. देश के सबसे शांत स्‍थानों में से एक कश्‍मीर की विडंबना है कि उसे राजनीतिक प्रकोप,लड़ाई और आतंकवाद झेलने पड़ते हैं. मनमोहक भूखंड के माध्‍यम से कई कश्मीरियों की कहानियों को उजागर करना, आम लोगों से इसकी स्थिति और प्रभाव को समझने और प्रतिबिंबित करने का आग्रह करने वाला कंसेप्‍ट इन संवेदनशील भागों यानी कश्‍मीर कन्फ्लिक्‍ट को दर्शाते हैं।
ये तीन वेब शोज ‘हक से (2018)’, ‘काफिर(2019)’ और बार्ड ऑफ ब्लड (रिलीज होना है) हैं, जिन्होंने इस विषय पर शानदार ढंग से कश्‍मीर कन्फ्लिक्‍ट के विषय को छुआ है और हमसब को सोचने पर मजबूर कर दिया है. बॉलीवुड को इन वेब शो से समझना चाहिए कि एक कहानी की सच्‍चई को दिखाने में किन बारीकियों पर ध्‍यान देना चाहिए.

1.हक से (2018)
कास्‍ट – राजीव खंडेलवाल, सुरवीन चावला, पारुल गुलाटी
शो‘हक से’ की कहानी कश्मीर में मिर्ज़ा परिवार की चार सगी-बहनों के इर्द-गिर्द घूमती है. यह उन महिलाओं और परिवारों के लिए एक आधुनिक प्रतिनिधित्व करता है, जो भावुक सपनों के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
इस शो के जरिये कश्मीर की यात्रा हम सभी भारतीयों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. कश्मीर की विडंबना को हर चरित्र और उनके हिस्सों के माध्यम से दिखाते हुए, उनके जीवन में हर आकांक्षा पर बातचीत करते हुए, इसके अभिनेता आपको अपने जीवन और यात्रा में शामिल करते हैं. हक से भावनात्मक उथल-पुथल से भर गया है जो आपको कश्मीरियों के जीवन और राजनीतिक अशांति की निरर्थकता के बारे में गहराई से सोचने का मौका देगा.

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2.कफिर (2019)
कास्‍ट – दीया मिर्जा,मोहित रैना,दीक्षिता जैन
काफ़िर,भारत और पाकिस्तान के सीमापार संघर्ष से घिरी पाकिस्तानी महिला कैनाज़ की स्वतंत्रता के लिए उसका संघर्ष एक जटिल कहानी है,जिसे गलत तरीके से कैद किया गया है. कैनाज़ पर आतंकवादी होने के संदेह हैं, जो अपने देश से अलगाव और पीड़ा से लड़ता है, जबकि उसकी छोटी बेटी उसे समानता और न्याय की दुनिया में विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है. काफ़िर एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का एक सुंदर चित्रण है जिसने कश्मीर में कई लोगों के जीवन को बदल दिया है. दीया मिर्जा और मोहित रैना दोनों ने कैनाज़ अख्तर और वेदांत राठौर की पीड़ा का प्रतिनिधित्व करने के लिए सराहनीय काम किया है।
3.बार्ड ऑफ ब्लड (2019) (रिलीज होना है)
कास्‍ट – इमरान हाशमी, शोभिता धूलिपाला, कीर्ति कुल्‍हाड़ी
बलूचिस्तान में बंदी भारतीयों को बचाने के लिए एक खतरनाक मिशन पर निकलने वाले एक पूर्व-रॉ एजेंट की यात्रा,बार्ड ऑफ ब्लड दोनों रोमांचकारी और चौंकाने वाला होने का वादा करता है. इसी नाम की एक पुस्तक के आधार पर, यह सात-एपिसोड नेटफ्लिक्स श्रृंखला भारत-पाक स्थिति पर प्रकाश डालने के लिए एक अलग मार्ग लेती है, जो पहले नहीं खोजी गई थी.