सिकंदरपुर में चेचक का प्रकोप, स्वास्थ्य विभाग बेखबर

तेज बुखार के साथ चेहरे पर डेन निकल आते हैं, लोग गाड़ी फूंक में उलझे, छ: माह से पांव पसार रही बीमारी

सिकंदरपुर(बलिया)। चेचक पर पूर्ण अंकुश के शासन व स्वास्थ्य विभाग के दावे के बावजूद क्षेत्र में इस रोग से लोगों के ग्रसित होने का सिलसिला जारी है. यह सिलसिला तीन माह पहले शुरू हुआ था. जो थमने का नाम नहीं ले रहा है. चेचक का सर्वाधिक प्रभाव नगर के मोहल्ला भिखपुरा में देखा जा रहा है. जहाँ अब तक डेढ़ दर्जन बच्चे किशोर व जवान इस रोग से ग्रसित हो चुके हैं. इस रोग से अब तक एक किशोरी की मौत के साथ ही डेढ़ दर्जन से ज्यादा ग्रसित हो चुके हैं. जिनमें अधीकांश किशोर अथवा उससे कम उम्र के हैं. इससे लोगों में दहशत ब्याप्त है. जबकि स्वास्थ्य विभाग इससे बेखबर है.
इधर पिछले कई वर्षों से चेचक का कहीं अता पता नहीं था. करीब तीन माह पूर्व चेचक के प्रसार की शुरुआत नगर के मोहल्ला भिखपुरा से हुई. जहां के निवासी विनोद जायसवाल की पत्नी माया देवी(28)तथा उनकी दो पुत्रियों अनन्या(7)व अंजलि(4)को चेचक ने अपनी चपेट में लिया. इलाज के बाद करीब एक हफ्ता बाद वे स्वस्थ हुईं. इस दौरान इसी मोहल्ले के मो. समीउल्लाह के पुत्र सेराज(25), इरफान(14), साकिब(10) व पुत्री गुड़िया(16) सहित फ़िरोज अहमद के पुत्र फरमान अहमद(3 )व पुत्री सना परवीन( 7) भी चेचक की चपेट में आ गए.
इसी क्रम में अफसाना ख़ातून (30)पत्नी मो.असलम, गुड्डू अहमद के पुत्र साहिल(13)व शाहिद (12)एवं पुत्रियां रुबीना(18)व मन्तशा(9) उनके भाई इस्राइल की पुत्रियां आलिया(5 ) व आयशा(2)भी चेचक की चपेट में आ गईं थीं.
इसी क्रम में एक पखवारा पूर्व नगर के ही मोहल्ला मिल्की निवासीशाहरुख(22)पुत्र नौशाद अहमद चेचक की पकड़ में आ गए थे. जबकि एक सप्ताह पूर्व मोहल्ला भिखपुरा में शहजाद अहमद(22)व मो.साहिल (11) को भी चेचक निकल गया था.

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

अब तक जितना भी लोग चेचक की चपेट में आये हैं. उनमें लक्षण तो इसी रोग का रहा है. इस में तेज बुखार के साथ ही शरीर व चेहरे पर बड़े बड़े डेन निकल आते हैं. साथ ही परिवार के लोग मरीजों को एलोपैथ दवा देने से परहेज कर झाड़ फूंक का सहारा लिए हैं. जैसा कि इस रोग में इलाज कराने की बजाय झाड़ फूंक की ही पूर्व से ही परम्परा चली आ रही है.
बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा इस की जांच कराया जाना जरूरी है कि वास्तव में यह चेचक है अथवा कोई और रोग. कारण कि शासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस रोग के प्रसार पर पूरी तरह से अंकुश का दावा किया जा चुका है. यदि रोग की पुष्टि हो जाती है तो पुनः एक बार इसके खिलाफ सघन अभियान चलाया जाना जरूरी है.