जिले में पाये गए दो हजार से अधिक फाईलेरिया मरीज

बलिया। जनपद में मल्टी ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) यानि फाईलेरिया अभियान का आयोजन 10 फरवरी से 24 फरवरी तक संचालित किया गया. जिसमें लोगों को घर-घर जाकर फाईलेरिया रोधी दवा खिलाई गयी साथ ही सभी की जांच भी किया गयी. इस दौरान जिले भर में 2,443 व्यक्ति फाईलेरिया से ग्रसित पाये गये. जिसमें 716 हाइड्रोसिल रोगी, 1,727 लिम्फोडेमा के रोगी पाए गये. इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी आरपी निरंजन ने बताया कि हाइड्रोसिल रोगियों के ऑपरेशन के लिए कार्यवाही की जा रही है तथा लिम्फोडेमा रोगियों का रुग्णता प्रबन्धन कराया जा रहा है.

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

उन्होने बताया कि फाईलेरिया रोग एक मच्छर जनित रोग है. जो क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है. इस रोग को फील पाँव या हाथी पाँव भी कहा जाता है. जो एक ‘निमेटोड बूचरेरीया बैक्रापटी’ परजीवी के कारण होता है. इस रोग के लक्षण शरीर के प्रभावित अंग में सूजन आ जाती है. प्रायः हाथ, पैर या अंडकोष में सूजन आ जाती है. अंडकोष में सूजन को हाइड्रोसील कहते हैं और हाथ या पैर में सूजन को लिम्फोडेमा की श्रेणी में रखा जाता है. वहीं शुरुआती स्टेज में सम्पूर्ण इलाज करने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है.
इसके अलावा 10 से 24 मार्च तक चलाये गए अभियान के लिए करीब 28 लाख लोगों का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें लगभग 25 लाख को दवा पिलाई गयी. यह लक्षित जनसंख्या का करीब 86 फीसदी परिणाम रहा. इस संबंध में मच्छर जनित नियंत्रण बीमारी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. जेआर तिवारी ने बताया कि जनपद में एमडीए का आयोजन 10 से 14 फरवरी तक तथा छूटे हुये व्यक्तियों को दवा खिलाने के लिए मॉप-अप राउंड 15 से 24 फरवरी तक चलाया गया था. जिसमें एल्बेण्डाजोल तथा डीईसी टैबलेट घर-घर जाकर पर्यवेक्षकों के सुपरवीजन में खिलाई गयी.
उन्होने बताया कि यदि लगातार पाँच वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य एमडीए के दौरान डीईसी एवं एल्बेनडाजॉल की गोली आयु वर्गानुसार एकल डोज लेता है, तो भविष्य में उसको फाईलेरिया रोग होने की सम्भावना कम हो जाती है. घर-घर अभियान चलाने का उद्देश्य परजीवी के प्रभाव को शरीर में इतना कम कर दिया जाता है कि मच्छर, पीड़ित रोगी से स्वस्थ मनुष्य में संक्रमण नही कर पाता है. जिससे फाईलेरिया रोग किसी अन्य के शरीर में संचारित नहीं होने पाता.