छल कपट रहित व्यक्ति पर ही फलित होती है हनुमत आराधना

बल, बुद्धि और विद्या के दाता हैं हनुमानजी- मारुति किंकर जी महाराज

सुखपुरा(बलिया)। बल, बुद्धि और विद्या देने वाले एकमात्र देवता हैं हनुमानजी. हनुमान जी की आराधना करने वालों पर भगवान राम की विशेष कृपा होती है. हनुमान जी के स्मरण और भजन से मानव के सभी कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं. यह बातें काशी के आचार्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य मारुती किंकर जी महाराज ने कही. वह संत यतीनाथ मंदिर परिसर में चल रहे हनुमान जयंती समारोह के पांचवें व आखिरी दिन शनिवार की रात भक्तों को हनुमान कथा का रसपान करा रहे थे. कहा कि कलयुग में यदि कोई सबसे सिद्ध देव है तो वह हैं हनुमानजी. हनुमान जी का पूरा जीवन परमार्थ के लिए समर्पित रहा है.

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

मन से सरल व्यक्ति हनुमान को अधिक प्रिय होते हैं. हनुमान के भजन उसी को फलदाई होते हैं जिसका मन, छल और कपट से रहित होता है. ऐसे व्यक्ति यदि श्रद्धा विश्वास के साथ हनुमान का पूजन अर्चन करे तो वह असंभव कार्य को भी संभव कर सकता है. कारण कि उसे हनुमान के साथ भगवान राम का भी परोक्ष रूप से आशीर्वाद मिल रहा है. कथा को विस्तार देते हुए मारूती किंकर जी महाराज ने हनुमान जी से राम के मिलन से लगायत भगवान राम की राजगद्दी के बीच में हनुमान द्वारा किए गए कार्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला. चाहे वह सीता की खोज हो, लंकादहन हो, संजीवनी बूटी लाना हो, भरत के बाण से संजीवनी बूटी ला रहे हनुमान जी का अयोध्या में गिर जाना जैसे प्रसंग को बड़ी रोचकता से प्रस्तुत किया. बीच-बीच में भजनों के माध्यम से श्रोताओं को एकाग्रचित रहने के लिए देर रात तक मजबूर किया. इस मौके पर आचार्य रामानंद पांडेय, अलख निरंजन पांडेय, केतकी सिंह, पूर्व प्रमुख अनिल कुमार सिंह, आनंद सिंह पिंटू, जनार्दन उपाध्याय, अरविंद गांधी, उमेश सिंह, जितेंद्र प्रताप सिंह, वसंत सिंह आदि मौजूद रहे.आयोजकों द्वारा इस मौके पर क्षेत्र के आधा दर्जन ऐसे प्रबुद्ध जनों को सम्मानित किया गया जो अपने अपने फन मे माहिर रहे.आयोजक गणेश प्रसाद गुप्ता, सर्वदेव सिंह व रमाशंकर यादव ने दिन रात एक कर समारोह को न सिर्फ सफल बनाया बल्कि उसे काफी उंचाई पर पहुंचाया. राजेंद्र सिंह गंवार ने संचालन किया .