साहित्यकार लालसाहब सत्यार्थी और शिवकुमार सिंह कौशिकेय सम्राट अशोक महान सम्मान से सम्मानित

सम्राट अशोक की 2322 वीं जयंती पर सम्यक सेवा संघ के तत्वावधान में जिला पंचायत के नरेन्द्रदेव सभागार में समारोह आयोजित

बलिया। सम्राट अशोक की ननिहाल और ससुराल रही है, महर्षि भृगु की धरती. जिले के अमांव में अशोक ने लगाया था शिलालेख. उक्त उद्गार सम्राट अशोक की 2322 वीं जयंती पर सम्यक सेवा संघ के तत्वावधान में जिला पंचायत के नरेन्द्रदेव सभागार में आयोजित समारोह में व्यक्त किया. समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन एवं बुद्ध वंदना से हुआ. मुख्य अतिथि पूर्व विधायक गोरख पासवान, विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर पासवान, नपा अध्यक्ष अजयकुमार समाजसेवी का माल्यार्पण एवं डॉ अवध बिहारी वर्मा के स्वागत गीत “हे मानवता के कुलभूषण आपका अभिनन्दन है” के उपरान्त समारोह के मुख्य वक्ता शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि सम्राट अशोक का बलिया जिले के भू- भाग से गहरा संबंध है. अशोक के पिता मौर्य साम्राज्य के दूसरे सम्राट बिंबसार के साथ कोसल नरेश प्रसेनजित ने अपनी बहन महाकोशला का विवाह कर अपने राज्य के काशी राज्य के भू-भाग को दहेज में देकर संधि किया था. इस रिश्ते से यह भू भाग अशोक की ननिहाल हो गई थी. कालान्तर में जब अशोक मगध साम्राज्य के सम्राट बनें तो राजा प्रसेनजित ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह सम्राट अशोक के साथ किया. जिससे यह धरती अशोक की ससुराल भी हो गई.

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सम्राट अशोक ने जिले की सदर तहसील के अमांव गाँव में तथागत बुद्ध द्वारा मानवभक्षी मानवों के हृदय परिवर्तन की स्मृति में एक स्तम्भ की स्थापना किया था. जिसका वर्णन ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत और डाॅ ओल्डहेम के अभिलेखों में मिलता है.
समारोह में जिले के साहित्यकार लालसाहब सत्यार्थी और शिवकुमार सिंह कौशिकेय को सम्राट अशोक महान सम्मान एवं अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया.
मुख्य अतिथि पूर्व विधायक गोरख पासवान ने कहा कि सम्राट अशोक ने मानव समाज से ऊँच नीच का भेद मिटाने के लिए अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा तक को बौद्ध भिक्खु बनाकर विश्व में मानवता का संदेश दिया था.
समारोह को साथी रामजी गुप्ता, गुलबदन बौद्ध, राजन कन्नौजिया, रामप्रवेश प्रजापति, आत्मा प्रसाद वर्मा, विनोद ठाकुर, अरविंद गोंडवाना, सरदार कन्हैया सिंह, सीताराम प्रधान, परशुराम वर्मा, ओमप्रकाश वर्मा, कवि फतेहचन्द बेचैन आदि वक्ताओं ने सम्बोधित किया.
अध्यक्षता बाबूराम वर्मा एवं संचालन विनायक मौर्य तथा आभार अशोक प्रकाश मौर्य ने किया.