ब्राम्हण को कभी भी  नहीं मांगनी चाहिए भिक्षा : कृष्ण शास्त्रीजी महाराज

श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ का आठवां दिन

दुबहड़(बलिया)। ब्राह्मण को कभी भी भिक्षा नही मांगना चाहिए. क्योंकि इससे ब्राम्हण का ब्रह्मणत्व कम होता है. उक्त बातें दादा के छपरा में हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ के आठवें दिन भागवत कथा के दौरान राष्ट्रीय सन्त गौरव कृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित सुनाते हुए कही.

कहा कि ब्राम्हण के छः कर्म हैं. यज्ञ करना-कराना, दान करना- कराना, वेद पढ़ना-पढ़ाना. ब्राह्मण समाज को अपने कर्मों के द्वारा दिशा प्रदान करता है. सुदामा जी भले ही निर्धन ब्राह्मण थे. लेकिन अपने ब्रह्मणत्व को कहीं से कम नही होने दिये. उन्होंने उस कवि की निंदा की जिन्होंने लिखा है कि ब्राम्हण को धन केवल भिक्षा. कहा कि ब्राम्हण तपस्या से सब कुछ प्राप्त कर सकता है. कहा कि जब भी मित्रता की मिसाल की बात आती है, तो कृष्ण सुदामा की मित्रता की मिसाल ही यह दुनिया देती है. जो अमीरी गरीबी की सीमाओं को लांघते हुए मित्रता धर्म की मर्यादा को भली भांति निभाते हैं. भक्त वत्सल भगवान हर एक पल प्राणियों की रक्षा करते रहते हैं.  शास्त्री जी महाराज ने बीच-बीच में भगवान के कई भजन सुनाकर लोगों को भावविभोर किया. इस मौके पर मुख्य संत गौ ऋषि स्वामी श्री रामभद्र करपात्री जी उर्फ बालक बाबा, पंडित अश्वनी उपाध्याय, गोगा पाठक, राजेश्वर पाठक, राम प्रवेश, रविंद्र राम, गणेश, श्रीचौधरी, गंगा पाठक, प्रधान प्रतिनिधि सुनील सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अरुण सिंह, भोला, शमीम, दीपक, मिथिलेश, प्रभु नारायण, अशोक, बूढ़ा सिंह, कूदन सिह आदि रहे.

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भंडारा मंगलवार को

दादा के छपरा में हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति दो जनवरी मंगलवार के दिन विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगी. ऐसी मान्यता है कि यज्ञ का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मौके पर यज्ञ आयोजन समिति के लोगों ने अधिक से अधिक लोगों को भंडारे के लिए आमंत्रित किया है.