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इलाज के अभाव में व्रती महिला की मौत, सीएचसी से गायब रहे चिकित्सा कर्मी
मौके पर पहुंचे मन्त्री उपेन्द्र तिवारी
लापरवाह चिकित्सक निलम्बित
बलिया। सूर्य उपासना के लिए छठ का व्रत करने वाली ग्राम पंचायत नरहीं की वार्ड सदस्या श्रीमती सिदावती देवी (45) पत्नि विजयशंकर राजभर को शुक्रवार की सुबह घाट पर जाते वक्त पेट मे दर्द होने लगा.
परिजन उन्हे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गये. जहां डेढ घण्टे इन्तजार के बाद भी इमर्जेंसी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक के न पहुंचने से उचित इलाज के अभाव मे उसने दम तोड़ दिया. मृतका के परिजनो का आरोप है कि चिकित्साकर्मियो ने ये भी नही बताया कि डॉक्टर नही है. कहीं और चले जाओ. जब सिदावती मर गयी तब फार्मासिस्ट ने उन्हे बलिया ले जाने को कहा. इस दौरान हास्पीटल पर कोई गाड़ी भी उपलब्ध नहीं थी. काफी मशक्कत के बाद हास्पीटल का गेट खुला था.
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मंत्री उपेन्द्र तिवारी वाकए की जानकारी होने पर वहां पहुंचकर जांच पड़ताल की तो सभी लोग नदारद मिले. जिससे क्षुब्ध होकर मंत्री वही पर बैठ गये आैर उच्चाधिकारियों को दूरभाष पर सूचित किये.
तीन चिकित्सक निलम्बित
ग्राम पंचायत के सदस्या सिदावती देवी की इलाज के अभाव मे हुई मौत की सूचना गडहांचल में ही छठ घाटों पर लोगों से आशीर्वाद ले रहे उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार उपेंद्र तिवारी को भी मिली. वह तत्काल हॉस्पिटल पहुंचे और चिकित्सको को नदारद देखकर उन्होंने तत्काल डीएम, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य मंत्री से बात कर जिले की समस्या से उन्हें अवगत कराया एवं तत्काल बड़ी कार्यवाही करने का निवेदन किया. उनके फोन करने का असर ही था कि आधे घंटे के अंदर उपजिलाअधिकारी मौके पर पहुंच गये. फिर सीडीओ के साथ डीएम पहुंचे. मंत्री ने उन्हे एक एक समस्या से मौके पर ले जाकर रूबरू कराया तो अधिकारियों के होश उड गये. उन्हें दवा वितरण, ओपीडी, एक्स रे मशीन, पानी की टंकी, शौचालय, टूटा हुआ छत दिखाया और यह भी बताया कि इससे पहले 3 माह पूर्व वह चिकित्सालय का निरीक्षण कर चुके हैं. यह तमाम खामियों उस समय भी थी और उन्होंने इसे दुरुस्त करने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया था. तो ऐसा क्यों नहीं हुआ. मंत्री को एक्शन में देख अधिकारी सकते में दिखे और वह उन्हें हर तरह से सहयोग कर रहे थे. उनकी हर आपत्ति को स्वीकार कर रहे थे एवं उन्होंने त्वरित कार्यवाही करते हुए सदावती देवी के मौत के लिए लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों को निलंबित कर दिया, तथा नरहीं सीएचसी के समस्त उपस्थिति पंजीका व रजिस्टर को अपने कब्जे में लेकर बृहद जांच के लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता मे टीम बनाकर जांच करने की बात कही.