कहीं लोगों के दरवाजे पर स्टाक, कहीं ट्रांसफार्मर व अन्य विद्युत उपकरण के लिये हायतौबा

कई गांवों में पड़े हुए है ट्रांसफार्मर व उपकरण

सुखपुरा (बलिया)। ट्रांसफार्मरों की कमी का दंश झेल रहे विद्युत उपकेंद्र सुखपुरा के उपभोक्ताओं को एक तरफ लो वोल्टेज या विद्युत अनापूर्ति का सामना करना पड़ रहा है, वहीं उपकेंद्र से जुड़े गांवों में लोगों के दरवाजों एवं घरों  पर दर्जनों ट्रांसफार्मर विगत 2 वर्षों से पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं. यह विभाग की लापरवाही कही जाए या प्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग की उदासीनता. आखिरकार जिन ट्रांसफार्मरों को विभागीय स्टोर में होना चाहिए वह लोगों के घरों में कैसे पड़े हैं ?

इसका कोई स्पष्ट उत्तर जिनके घरों में या दरवाजे पर ट्रांसफार्मर रखा है, नहीं दे पा रहे हैं. निश्चित रुप से यह गम्भीर मामला है. इसके प्रति विभागीय अधिकारी जबाबदेही से बच नही सकते. आज क्षेत्र में अनेक गांव में यहां तक कि स्थानीय कस्बे में ट्रांसफार्मरो की बेहद कमी है. यही वजह है कि कस्बे की आधी आबादी को बराबर लो वोल्टेज का सामना करना पड़ रहा है. तो दूसरी तरफ कई मोहल्लों में लोग विद्युत अनापूर्ति का सामना करने को मजबूर है. लगभग यही स्थिति उपकेन्द्र से जुड़े कई गांव की है. सूत्रों के अनुसार पिछली सरकार के कार्यकाल में लोहिया गांवों को विद्युत से संतृप्त करने को ट्रांसफार्मर, तार, इंसुलेटर आदि अन्य सामान विभाग के अधिकारियों के माध्यम से संबंधित ठेकेदारों को दिया गया था.  ट्रांसफार्मर सहित अन्य सामान स्टोर से निकाल भी लिया गया. गांवों को संतृप्त भी कर दिया गया, फिर दर्जनों ट्रांसफार्मर लोगों के घरों एवं दरवाजे पर कैसे पड़े हैं ?

 इसके अतिरिक्त बिजनेस प्लान में उपभोक्ताओं को बिजली का लाभ देने के लिए जनप्रतिनिधियों ने ट्रांसफार्मर सहित अन्य सामग्रियों की संतुति की. फिर विभाग ने उक्त सामग्री आवंटित भी कर दी थी. जो अभी भी कुछ लोगों के घरों की शोभा बढ़ा रहा है. इधर एक ट्रांसफार्मर यदि जल जाता है, तो उपभोक्ताओं को हफ्तो दौड़ लगाने के बाद विभाग ट्रांसफार्मर लगाता है, और क्षेत्र में आज दर्जनों ट्रांसफार्मर लोगों के घरों घरों और दरवाजों की शोभा वर्षों से बढ़ा रहे हैं. बता दें कि क्षेत्र के भोजपुर के राधेश्याम सिंह के दरवाजे पर 10 केवीए का सात ट्रांसफार्मर, तार, इंसुलेटर, करम्मर के भरत चौधरी के दरवाजे पर 63 केवीए के 3 ट्रांसफार्मर, तार विद्युत सामान, बहेलिया के पूर्व प्रधान राजगिरी यादव के दरवाजे पर 10 केवीए के 9 ट्रांसफार्मर भारी मात्रा में तारों के बंडल एवं विद्युत सामान देखा जा सकता है.

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करम्मर मठिया के अच्छे लाल यादव के दरवाजे पर 63 केवीए का एक ट्रांसफार्मर पड़ा है.  इसी तरह अन्य गांवों में लोगों को ट्रांसफार्मर की बंदरबांट की गई है. सूत्रों की माने तो आम उपभोक्ताओं को यही ट्रांसफार्मर बिना किसी कागजी कार्यवाही के 15 से 20 हजार खर्च करने पर बिजली कर्मचारी आसानी से मुहैया करा रहे हैं. जबकि अन्य उपभोक्ता कागजी कार्यवाही से परेशान होने के बाद थक हारकर बैठ जा रहे हैं. अब सवाल यह है कि आखिर सरकार के स्टोर में रहने वाले ट्रांसफार्मर लोगों के दरवाजों पर क्यों पड़े हैं ? क्या विभाग की मिलीभगत से प्रदेश सरकार को चूना लगाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है. या यह सरकार की छवि धूमिल करने की साजिश तो नहीं है. बरहाल इसकी सच्चाई जांच के बाद ही पता चल पायेगी. वैसे आम उपभोक्ता ट्रांसफार्मरों को लेकर काफी परेशान है. उपभोक्ता की परेशानी कब तक खत्म होगी यह विभाग बताने को तैयार नहीं है.

इस मामले में  अधिशासी अभियंता विद्युत खंड द्वितीय हरीशंकर ने कहा कि यह मेरे सज्ञान मे नही है. ट्रांसफार्मर सरकारी संपति है. किसी के दरवाजे नही रखा जा सकता. अगर है तो गलत है. इस मामले की जांच कराई जायेगी.

जबकि खंड विकास अधिकारी बेरुआर बारी राजेश गुप्त ने कहा कि ब्लाक के लोहिया गांव मेरे स्तर से संतृप्त हो गये हैं. विद्युतीकरण से संतृप्त है कि नही यह मुझे पता नही है.