त्रिदोष का निवारण यज्ञ के दर्शन पूजन परिक्रमा से ही संभव है – स्वामी ईश्वर दास

सिकंदरपुर (बलिया)। जिस यज्ञ में सभी धर्म यहां तक की संपूर्ण विश्व ब्रह्मांड प्रतिष्ठित रहता है, उस यज्ञ की सफलता के निमित्त सभी देवी-देवता सहयोग करते हैं. यही कारण है कि समय समय पर अन्यान्य स्थानों पर वैदिक यज्ञादि के कार्यक्रम चलते रहते हैं. यह विचार है परीव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी का.

वह क्षेत्र के परम धाम परिसर डूंहा में चल रहे गुरु पूजा महोत्सव एवं अद्वैत शिव शक्ति यज्ञ के तहत भक्तों के बीच प्रवचन कर रहे थे. कहा कि जिस तरह हवा का तेज वेग बादल के बड़े से बड़े समूह को नष्ट कर देता है, उसी प्रकार हमारे जीवन में आने वाले त्रिदोष का निवारण यज्ञ के दर्शन पूजन परिक्रमा आदि से संभव हो जाता है. कहा कि यज्ञ जिसे हम अपने जीवन में निरंतर करते रहते हैं, उसका अर्थ केवल वैदिक यज्ञ से नहीं, बल्कि प्रत्येक उस कार्य से है जिससे हम अपने विभिन्न इंद्रियों से करते हैं.

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