भक्तों को मर्यादा देना ही पुरुषोत्तम राम की विशेषता थी

सुखपुरा (बलिया)। मर्यादा पुरुषोत्तम राम चन्द्र महराज अपने भक्तों को किसी बात का कष्ट नहीं होने देते. यही कारण है कि वह सबरी की झुठी बेर खाए, वहीं केवट ने नदी पार कराने के लिए उनको बहुत परेशान किया. उसके बाद भी राम चन्द्र जी विचलित नहीं हुए. यह बातें जगद्गुरु रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी महाराज ने कही. वह संत यतिनाथ मंदिर परिसर में आयोजित पांच दिवसीय हनुमान जयंती समारोह के दूसरे दिन शनिवार की रात राम भक्तों को रामकथा का रसपान करा रहे थे. कहा कि भक्त को ज्यादा महत्व देना मर्यादा पुरुषोत्तम राम की विशेषता थी. कहा कि कलयुग मे यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो मानव को भक्ति सागर मे गोता लगाना होगा. स्वामी जी ने मानस कथा के दौरान राम केवट संम्बाद की विस्तृत व्याख्या किया. 

मानव एवं राष्ट्र की समृद्धि के लिए यंहा संत यतिनाथ मंदिर परिसर में चल रहे हनुमान जयंती समारोह के तीसरे दिन रविवार की सुबह आचार्य डॉ. रमानंद पांडेय ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रामभक्त हनुमान का विधि विधान से पूजन अर्चन कराया. प्रारम्भ में आचार्य डॉ. पांडेय ने वेदी का निर्माण कर पूजन किया. तत्पश्चात पूजन में शामिल महिलाओं को संकल्प दिलाकर भगवान महावीर का पूजन कराया.

इस मौके पर गणेश प्रसाद, रमाशंकर यादव, सर्वदेव सिंह, पप्पू सोलंकी, अशोक पटेल, संतोष ओझा, विमला गुप्ता, ज्योति सिंह, मिथिलेश सिंह, राधिका गुप्ता, राजेश्वर सिंह, अजय सिंह आदि शामिल रहे. इसी क्रम में आचार्य पांडेय ने सामूहिक रुद्राभिषेक करा कर राष्ट्र के उत्थान एवं मानव के कल्याण की कामना की. 

इसी क्रम में संत यतिनाथ मंदिर परिसर में आयोजित पांच दिवसीय हनुमान जयंती समारोह के प्रथम दिन शुक्रवार की रात राम भक्तो को राम कथा का रसपान कराते हुए जगद्गुरु रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी महाराज ने कहा, मानव कल्याण हेतु कोई बड़ा कार्य छोटा बनकर किया जाए तो निश्चित रूप से समाज आपको आदर और सम्मान देगा. राम भक्त हनुमान ने भी अपने जीवन के जितने बड़े कार्य किए वह सूक्ष्म रूप पकड़कर ही किया, तभी हम उन्हें आज भी पूजते हैं. हनुमान का चरित्र पूरे मानव मात्र के लिए आदर्श है.

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कहा कि हनुमान ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो बल, बुद्धि व विद्या तीनों प्रदान करते हैं. हनुमान जी के धरती पर अवतरण कि सविस्तार वर्णन करते हुए कहा कि हनुमान जी भगवान शंकर के ही अंश हैं और मानव के कल्याण के लिए उन्हें हनुमान के रूप में धरती पर आना पड़ा. हनुमान की भक्ति से राम जी प्रसन्न होते हैं. जिसने भी हनुमान की श्रद्धा व आस्था के साथ भक्ति किया, उनका भगवान राम ने उद्धार किया. कलयुग में हनुमान की भक्ति से ही मानव का कल्याण होने वाला है.

इसके पूर्व आयोजक गणेश प्रसाद गुप्ता, सर्वदेव सिंह व रामाशंकर यादव ने जगद्गुरु रामानुजाचार्य का स्वागत करने के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आसन व पीठ का पूजन अर्चन किया. वाराणसी के आचार्य रामानंद पांडेय ने विधिवत पूजन अर्चन कराया. इस मौके पर हरेराम सिंह, राजेंद्र सिंह, गवार, कैलाशी अनिल सिंह, बेचु राम,श्री राम स्वर्णकार, राम जी ओझा, सत्य प्रकाश गुप्ता, पप्पू सिंह सोलंकी, विमला गुप्ता, रामनाथ सिंह,अशोक पटेल आदि मौजूद रहे. संचालन रामाशंकर यादव ने किया.

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