अलका राय को मजबूत करने के लिए सपा की मौन स्वीकृति!

गाजीपुर से विकास राय

आखिरकार सपा-काग्रेस गठबंधन के खाते में आई मुहम्मदाबाद सीट पर चर्चा में आए अरविन्द किशोर राय की बजाय जनक कुशवाहा को उम्मीदवार बनाये जाते ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. गौरतलब है कि पिछले दिनो अंसारी बंधुओ के बसपा मे जाने और मुुहम्मदाबाद सीट से शिबगतुल्लाह अंसारी को बसपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही इन्हें घेरने की कवायद शुरू हो गयी थी और इसी मकसद से अखिलेश यादव के नेतृत्व में बैठकों के कई दौर भी चले. सपा की इन हाई लेवल बैठकों में लिए गये निर्णयों का खुलासा तब हुआ, जब कांग्रेसी नेता डॉ. जनक कुशवाहा को मुहम्मदाबाद से उम्मीदवार घोषित किया गया.

समाजवादी पार्टी किसी भी सूरत में नहीं चाहती है कि मुहम्मदाबाद सीट पुनः अंसारी बंधुओं के कब्जे में जाए. ऐसे मे राजेश राय पप्पू जैसे मजबूत सपा प्रत्याशी के स्थान पर कांग्रेस के खाते में मुहम्मदाबाद सीट का दिया जाना और काग्रेस से अरविन्द किशोर राय का नाम खारिज किया जाना, भूमिहार मतदाताओं को लामबंद करने की ओर इशारा करता है. राजनीतिक गलियारे में छिड़ी चर्चाओं के मुताबिक जनक कुशवाहा के नाम की घोषणा अलका राय को मजबूत करने को लेकर सपा की मौन स्वीकृति साबित हो सकती हैं.

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अंसारी बंधु के तिलिस्म को अब तक मुहम्मदाबाद में कोई तोडने में कामयाब हुआ तो वह व्यक्ति भाजपा विधायक स्व. कृष्णा नन्द राय थे. उनकी हत्या के बाद जब उपचुनाव में उनकी पत्नी अलका राय भाजपा प्रत्याशी बनी तो अंसारी बंधु अपने बैकफुट पर चले गए और सहानुभूति की प्रचंड लहर में गामा राम को प्रत्याशी बनवाने में सफल रहे. इस बार पुनः शिवगतुल्लाह अंसारी बसपा और अलका राय भाजपा उम्मीदवार के रूप में आमने सामने है. मुहम्मदाबाद विधान सभा सीट पर पूरे प्रदेश ही नहीं देश की नजर रहती है और इस बार भी रहेगी.

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