‘आषाढ़ का एक दिन’ – उत्कृष्ट अभिनय ने किया मंत्र मुग्ध

बलिया। प्रेम में सिर्फ पाना नहीं होता. कई बार प्रेम में खुद को गंवाना भी पड़ता है. कालिदास की प्रेमिका मल्लिका ने अपने जीवन को इसलिए पीड़ा के प्रवाह में डाल दिया कि उनका जीवन संवर जाए.

अपने शानदार अभिनय से संकल्प के रंगकर्मियों ने सोमवार को  देर शाम बापू भवन के मंच पर कालिदास एवं मल्लिका के प्रेममय जीवन को जीवंत कर दिया. मोहन राकेश द्वारा लिखित हिन्दी के पहले आधुनिक नाटक आषाढ़ का एक दिन की प्रस्तुति 30 जनवरी को बापू भवन में हुई. यह नाटक महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित होने के साथ-साथ उनकी प्रसिद्धि और प्रेयसी मल्लिका के नीयत का चित्र है.

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प्रस्तुति से पहले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने द्वीप जलाकर उद्घाटन किया. इस अवसर पर नम्रता द्विवेदी और मनीषा शुक्ल द्वारा  कला प्रदर्शनी भी लगायी गई, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. नाट्क प्रस्तुति से पूर्व अजय, अर्जुन, सौरभ का व्याख्या प्रकृति अनमोल व संस्कृति आदि ने नृत्य प्रस्तुत किया. युवा साहित्यकार रामजी तिवारी, अजीत मिश्र, समीर पाण्डेय, डॉ.राजेन्द्र भारती, अर्जुन गिरि, मनोज, शालिनी श्रीवास्तव, बलवंत सिंह आदि मौजूद रहे.