जाने क्यों यहां के स्टेट बैंक मैनेजर को ग्राहकों से छिपकर बैठना पड़ता है

बैरिया (बलिया)/नई दिल्ली। अन्य बैंक भले भले ही सुधर जाएं, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक की ग्राहक सेवा सुधरने का नाम नहीं ले रही है. भारतीय स्टेट बैंक शाखा कोटवा चेस्ट ब्रांच है, यहां पैसों का स्टाक रखा जाता है. लेकिन यहां के ग्राहकों के भुगतान के मामले में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चाहे नोट बदलने का दौर हो या धन जमा निकासी का, यहां दिक्कतें ही दिक्कतें हैं.

सोमवार को बैंक के दरवाजे पर सुबह सात बजे से ही लोगों की लाइन लगने लगी. बैंक के बाहर लगभग 200 मीटर लंबी लाइन, तो बैंक के भीतर हर काउंटर पर बेतहाशा भीड़ पूरे दिन बनी रही. स्टेट बैंक शाखा के पास ही एटीएम की भी व्यवस्था है. लेकिन वहां पर भी  एक दो घंटे चलने के बाद एटीएम बंद हो जाता है. बैंक के शाखा प्रबंधक ग्राहकों द्वारा बार बार पूछे जाने वाले सवालों से बचने के लिए ऊपर छिप कर बैठ जाते हैं. भारतीय स्टेट बैंक शाखा कोटवा इलाके की सबसे बड़ी बैंक शाखा है. ऐसे में आरबीआई द्वारा सोमवार को जारी किए गए आदेश के मुताबिक प्रबंधक महोदय की समस्या और बढ़ने वाली है.

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मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि पहली फरवरी से एटीएम से कैश विदड्राॅअल की लिमिट नहीं रहेगी. अब हफ्ते में एक बार में 24 हजार रुपए निकाले जा सकेंगे. बता दें कि नोटबंदी के बाद एटीएम से पैसा निकालने की लिमिट लगातार बढ़ाई जा रही थी.  हाल ही में यह लिमिट 4500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रतिदिन की गई थी. हालांकि, अब भी एक हफ्ते में 24 हजार से ज्यादा नहीं निकाले जा सकेंगे. सिर्फ एक दिन में, एक कार्ड से निकाले जाने वाला एमाउंट बढ़ाया गया है. आरबीआई ने बैंकों को ये सलाह भी दी है कि वे ग्राहकों को कैश से नॉन कैश मोड पर ले जाने की कोशिश करें.

जाहिर सी बात है कि इस बैंक शाखा से संबंधित खाता धारकों की संख्या भी बहुत अधिक है. जिसकी तुलना में यहां पर कर्मचारी बहुत कम है. लगन का सीजन है. शादी विवाह को लेकर लोग परेशान हैं. सरकार द्वारा जितना धन निकासी के लिए निर्धारित किया जाता है. ग्राहकों की सुविधा के लिए यहां का प्रबंधन उसमें फेर बदल भी कर लेता है. अब इन दिनों पेंशनरों की भी भीड़ बढ़ेगी. ऐसी दशा में भारतीय स्टेट बैंक शाखा कोटवा में उमड़ने वाली भीड़ की तुलना में निकासी जमा ग्राहकों के बैठने की व्यवस्था काउंटरों की संख्या आदि बहुत कम है. रोज सैकड़ों लोग सुबह सात बजे से आकर शाम पांच बजे के बाद निराश वापस लौट रहे हैं.

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