रसड़ा और रेवती में अग्नि का नग्न तांडव

रसड़ा/रेवती (बलिया)। रेवती थानाक्षेत्र के परसियां ग्राम सभा अन्तर्गत रेवती-दतहां सम्पर्क मार्ग के किनारे स्थित रेवती वार्ड नं.-6 निवासी हरेन्द्र गोड़ के डेरा पर शुक्रवार की रात अज्ञात कारणों से लगी आग में दो झोपड़ियां उसमें रखा सारा सामान जल कर खाक हो गया. उधर, शनिवार की रात भी परसिया गांव में आधा दर्जन झोपड़ियों के आग के चलते राख हो जाने की सूचना है. इसी क्रम में रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के राघोपुर चट्टी स्थित चार झोपड़िया शुक्रवार की रात में अलाव से निकली चिंगारी से जल कर राख  हो गयी.

रेवती प्रतिनिधि के मुताबिक हरेन्द्र गोड़ रेवती-दतहां सम्पर्क मार्ग के किनारे स्थित अपनी झोपड़ी में सो रहे थे. अचानक शुक्रवार की रात करीब 10.30 बजे 100 नं.पेट्रोलिंग पुलिस टीम ने हरेन्द्र को जगाया. पुलिस वालों ने बताया कि बगल की झोपड़ी में आग लगी है. हरेन्द्र जब बाहर निकले तब देखा कि उनकी झोपड़ियां धू-धू कर जल रही हैं. जब तक वे तथा पुलिस बल कुछ समझ पाते दो झोपड़ियां तथा उसमें रखा तख्त, आलमारी सहित काठ निर्मित किवाड़ आदि सामान जल कर खाक हो गए थे. हरेन्द्र ने बताया कि एक वर्ष के अन्दर यहां तीसरी बार अगलगी की घटना हुई है.

उधर, परसियां गांव में ही शनिवार की रात करीब 8 बजे अज्ञात कारणों से आग लग गई. अगलगी की इस घटना में करीब आधा दर्जन झोपड़ियां, उसमें रखे घर गृहस्थी के सारे सामान जल कर राख हो गए. एक भैंस और एक पड़िया के जल कर मरने की सूचना है. एक गाय और एक बछिया के झुलसने की खबर है.

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रसड़ा में आगलगी से पीड़ित परिवार खुले आसमान की नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है.

रसड़ा प्रतिनिधि के मुताबिक कोतवाली क्षेत्र के राघोपुर चट्टी स्थित शुक्रवार की रात में अलाव से निकली चिंगारी से चार झोपड़िया जल कर राख हो गयी. आस पास के लोग आग पर काबू पाते तब तक दैनिक उपभोग की बस्तुओं के साथ साथ झोपड़ी में बधी  एक गाय झुलस गई तथा चार बकरियां मर गई. वही आटा चक्की में रखा हुआ 10 कुंतल गेहूं एवम आटा जल कर खाक हो गया. काफी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया.

बताया जाता है कि योगेन्द्र राजभर की अलाव में से निकली चिंगारी ने उनकी झोपडी को छू लिया, देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. जिसमें योगेन्द्र की झोपडी में बधी चार बकरियां झुलस कर मर गयी. सुरेन्द्र राजभर की भी दो झोपड़ियां एवं राजेन्द्र चौधरी की झोपडी में चलने वाले आटा चक्की जल कर राख हो गयी. जिसमे सुरेन्द्र राजभर की एक गाय भी झुलस गयी. राजेन्द्र चौधरी की आटा चक्की में रखे गेहूं पीसने के लिये 10 कुन्तल आटा एवं गेहूं भी जल कर ख़ाक हो गया. इस आगलगी से पीड़ित परिवार खुले आसमान की नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है.