प्रशासनिक लापरवाही ने ली बंदी की बेटी की जान

बलिया। रविवार को जेल अधिकारियों की उदासीनता के चलते एक बंदी महिला की 6 माह की बेटी की जान चली गई. कई संस्थाओं ने जेल अधीक्षक एवं जेलर पर इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.

फेफना पुलिस ने फेफना ढाला की रहने वाली रिंकू देवी (30) को गिरफ्तार कर चेन स्नैचिंग के मामले में चालान कर जेल भेज दिया. रिंकू 5 सितंबर को जेल चली गई, उसके साथ उसकी छह माह की पुत्री शालू भी जिला कारागार में है. बच्चों के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण शालू  की जान चली गई.

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जिउतिया के दिन शालू को उल्टी दस्त होने लगी. रिंकू ने बंदी रक्षक के माध्यम से जेल  अधीक्षक एमएल सिंह को इसकी सूचना दी. उसने बच्ची की उचित इलाज मुहैया कराने की मांग की. परंतु जेल अधीक्षक ने बंदी रक्षक की बात अनसुनी कर दी. जिला अस्पताल में बंदी रिंकू ने बताया कि उसकी छह माह की बेटी को जेल अस्पताल में भी दिखाने की अनुमति नहीं दी गई. बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार न होने पर जेलर एके मिश्र के पास भी बंदी रक्षक के माध्यम से सूचना भिजवाई और उपचार करने की मांग की. बंदी रक्षक ने रिंकू देवी को बताया कि उसे डांट कर भाग दिया गया.

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विवश लाचार महिला अपनी लाडली को भगवान भरोसे छोड़ कर समय का इंतजार करती रही, परंतु शालू का स्वास्थ्य बिगड़ता गया. रविवार को उसकी हालत गंभीर हो गई. हालत बिगड़ते देख जेल प्रशासन ने उसे जिला अस्पताल भिजवाया, परंतु उसे यहां भी इलाज मिलना ऊपर वाले को मंजूर नहीं था. अभी जिला अस्पताल कर्मी शालू को भर्ती करने के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ही रहे थे कि उसके प्राण पखेरू निकल गए. अपने कलेजे के टुकड़े को अपने हाथों में मृत देख कर रिंकू दहाड़े मारकर रोने लगी.

arun_mishraइकतरफा दुष्प्रचार कर सरकार को बदनाम न करें. बच्ची का इलाज जेल के डॉक्टर द्वारा लगातार किया जा रहा था. जब उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई तो डॉक्टर द्वारा उसे जिला हॉस्पिटल रेफर करते ही बच्ची को वहां तत्काल भेजा गया. जेलर और अधीक्षक डॉक्टर की सलाह पर काम करते हैं, वे खुद डॉक्टर नही होते. सच्चाई पता लगाने के लिए जेल प्रशासन द्वारा पोस्टमार्टम भी कराया गया है – अरुण मिश्र, जेलर (बलिया लाइव के फेसबुक पेज पर की गई टिप्पणी)

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