बिना ढिंढोरा पीटे जिउतिया अब बेटियों के लिए भी

थोड़े समय पूर्व तक यह उपवास सिर्फ पुत्रों के लिए किया जाता था. लेकिन “जितिया पावैन” एक अपभ्रंश है. इसका सही नाम होता है जीविकपुत्रिका व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत). ध्यान दीजिये, यहां “पुत्री” शब्द है, पुत्र नहीं. धीरे धीरे कभी पिछले हज़ार-बारह सौ सालों की गुलामी में इसका स्वरूप बिगड़ा और यह सिर्फ पुत्रों के लिए हो गया.