नहरों में उग आई घास, पानी नदारद

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बिल्थरारोड(बलिया)। सिंचाई विभाग के लापरवाही के चलते नहरों में झाड़ झंखाड़ उग आए हैं. नहरों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. एक तरफ प्रदेश सरकार किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए हर संभव कार्य करने की बात कर रही है. वहीं किसानों को किसी योजना का लाभ सही रूप से नही मिल पा रहा है.
किसानों के खेत की सिंचाई के लिए नहरों में पानी हेड से टेल से पहुँचाने की बात सरकार करती है. किन्तु नहरों में पानी आना दूर की बात है, नहरों में लम्बी-लम्बी घासें उगी हुई है. नहरों के अस्तित्व अब समाप्त हो रहे है. किसानों की हितो की बात करने वाले जनप्रतिनिधियो के साथ विभागीय अधिकारी भी कुम्भकर्णी निद्रा में सोए हुए हैं.

इस समय पशुओं को खिलाने के लिए खेत में बोये गये हरे चारा चिलचिलाती धूप में नहरों में पानी न आने से सूख रहे हैं. पानी के आभाव में धूप लगे हरा चारा पशुओं को खिलाने से पशु बीमारियों के शिकार हो रहे है. ऐसे में इससे बचने के लिए किसान किसी तरह महंगे दामो पर डीजल खरीदकर अपने चारे की सिचाई कर रहे है. क्षेत्र के सिसयंड गांव निवासी प्रमोद यादव का कहना है कि नहर खर पतवार उग जाने के कारण तुर्तीपार पम्प कैनाल की शारदा सहायक नहर की करनी माइनर व अन्य इससे संबंधित माइनरो में पानी ही नही आता है. इस समय किसान धान के बीज का बेहन डाल रहे है. किंतु अभी तक नहर की सफाई नही हुई है. जिसके चलते अपने धान की बेहन को किसान महंगे दाम पर डीजल खरीदकर किसी तरह जिलायेगे. नहरों की सफाई के नाम पर हर वर्ष लाखों रूपये का विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियो तथा ठेकेदारों द्वारा आहरण कर लिया जाता. फिर भी सरकार इसके प्रति गम्भीर नही है. जिसको लेकर किसानों में रोष ब्याप्त है.