उजाड़ा जिस गंगा माँ ने आशियाना, उसी के तट पर बना लिया ठिकाना

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गंगा तट पर मांद नुमा अपनी दुनिया में है खुश

मझौवां(बलिया)। ना घर है न ठिकाना, यूं ही चलते जाना है. गायक किशोर दा के गीत की यह पंक्ति चौबे छपरा में नदी तट माद नुमा जगह पर सोने वाले ए‍क युवक पर सटीक बैठ रहा है. उस युवक के पास न घर है, न कोई ठिकाना है, उसकी मनोदशा भी कुछ ठीक नहीं है, फिर भी वह उसी गंगा के तट पर हर दिन अपनी हर रात गुजारता है.

जी हां यह अजीब दास्‍तां सदर तहसील में बेलहरी ब्‍लाक अन्तर्गत गंगापुर के पुरवा चौबे छपरा के रमेश कुमार पाठक का है. उम्र लगभग-36 है. जो चौबे छपरा गंगा नदी के किनारे गंगा घाट पर ही, तब से अपना दिन काट रहा है, जब से गंगा नदी ने उसके पैतृक मकान को अपने आगोश में ले लिया. आसपास के लोग बताते हैं कि वर्ष 2013 में उसका पैतृक मकान गंगा की लहरों के भेंट चढ़ गया. तब से उसकी मानसिक स्थिति ही खराब हो गई. वह न तो ज्‍यादा बोलता है, न ही किसी की ज्‍यादा सुनता ही है.

स्‍वभाव से शांत, उसे जहां भी जो कुछ मिल जाए, ले लेता है. शाम को पुन: नदी तट पर घरौंदेनुमा अपने उसी ठिकाने पर जाकर सो जाता है. उसकी यह दिनचर्या देखने वाले भी दंग रह जाते हैं. उसके सोने का वह स्‍थान भी ऐसा है जैसे में जंगली जानवर अपना मांद बनाकर उसमें गुजारा करते हैं. इस युवक को न तो सरकार से कोई शिकायत है, न समाज से कोई अपेक्षा. वह अपनी दुनिया में मगन रहता है. उसके पिता लक्ष्‍मण पाठक और माता अब इस दुनिया में नहीं हैं. इंसानियत के दम पर जिंदा इस युवक तक सरकारी करिंदों की भी निगाहें नहीं पहुंच पाती.

गुरूवार को इस युवक के बदहाल जिंदगी की सूचना जब बैरिया तहसील के उप जिलाधिकारी राधेश्‍याम पाठक को मिली तो उन्‍होंने बैरिया के कानूनगो को वहां भेजा. उक्‍त युवक के बदहाल जिंदगी की पड़ताल करवाई. जहां तहसील कर्मियों ने मानवता के नाम पर उसे कंबल आदि भेंट किया. इस दौरान भी वह न तो खुश हुआ, न दुखी. वैसे जहां वह युवक सोता है, वह एरिया सदर तहसील में पड़ जाता है. उसकी मनोदशा देख ऐसा प्रतीत होता है, मानो वह किसी बड़े सदमे का शिकार हुआ है.

इस बात को लेकर सभी लोग हमेशा मंथन करते रहे हैं कि आखिर इस युवक को गंगा से इतना लगाव क्‍यों है? समाजिक सुख-सुविधा और सरकारी की तमाम योजनाओं को दरकिनार कर यह युवक गंगा के तट पर ही अपना दिन काट रहा है. आस-पास के लोग उसे लाख समझा दें, वह नदी घाट से आना नाता नहीं तोड़ रहा. उसकी मानसिक दशा अब कुछ ठीक नहीं है, किंतु गंगा से उसके इस लागाव की चर्चा पूरे क्षेत्र में है.