बूढ़े, विकलांग, लाचार सरकार को बद् दुआ देते निराश वापस लौटे

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बेरुआरबारी ब्लाक पर कम्बल पाने की आस लिए दूर गांवों से आए थे असहाय

पहले गांव में प्रधान व लेखपाल के माध्यम से असहायों के घर तक पहुंचाया जाता था

इस बार चहेते तय किए हैं पात्रों का नाम

सुखपुरा(बलिया)। केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार की मनसा के अनुरूप देर से ही सही लेकिन ब्लाक मुख्यालय परिसर में तहसील प्रशासन की तरफ से ब्लाक मुख्यालय पर 38 ग्राम सभा के जरुरतमन्दो को कम्बल वितरण के लिए बुलाया गया. लेकिन सैकड़ो जरूरतमंद कम्बल पाने से वंचित रह गये. कम्बल उसी को मिला जिसकी पहुंच किसी न किसी नेता के यहाँ थी.

तहसील प्रशासन ने 400 कम्बल दिया था, जो इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए कम पड़ा. प्रधान व सेक्रेट्री की मिलीभगत से बहुत से गरीब लोगों को कम्बल नही मिल पाया. एक तरफ जहां गरीब ठंढ से बचने के लिए कम्बल की आस लगाए कड़ाके की ठंढ में जैसे तैसे ब्लाक मुख्यालय पहुंचे, लेकिन कम्बल न मिलने से निराश होकर लौट रहे थे, और सरकार को कोसते हुए पिछली सरकार से भी खराब बता रहे थे.

सांसद के प्रति दिखी नाराजगी

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सलेमपुर के सांसद रविन्द्र कुशवाहा थे. हजारों की संख्या मे आए लोगों में वृद्ध व महिलाओं की संख्या अधिक थी. कम्बल पाने की आस में आए इन लोगों को जब कम्बल नही मिला तो सरकार को कोसते हुए वापस अपने घर गये.

शिवपुर के अर्जुन करीब सत्तर वर्ष के उम्र में कम्बल लेने आए थे. उनको नही मिला. धनवती के सुरेन्द्र शर्मा को भी कम्बल नही मिला. उनका कहना था कि अगर कम्बल सीमित लोगो को ही देना था तो इतना तामझाम की क्या आवश्यकता थी. अपायल के विश्वनाथ ने भी कम्बल न मिलने पर सरकार के खिलाफ खूब खरीखोटी सुनायी. विकलांग सुदर्शन बैसाखी के सहारे अपायल से आए थे. लेकिन उनको भी कम्बल नही मिला. वह वापस बिना कम्बल पाए घर चले गये.
शासन के मंसा के मुताबिक कम्बल का वितरण करने पहुंचे सांसद रविन्द्र कुशवाहा को क्षेत्र की जनता ने बहुत दिन बाद देखा. अभय ने कहा कि सांसद के लिए बेरुवारबारी ब्लाक का कोई मायने नही रखता. इनके द्वारा केवल वोट मागने के लिए लोगों का प्रयोग समझ में आता है. करमपुर निवासी उपेन्द्र सिंह ने कहा कि सांसद केवल घोषणा करते हैं, काम के नाम पर एक भी ढ़ेला कही नही रखा गया है.

भरखरा निवासी अमीत ने कहा कि जब रविन्द्र कुशवाहा सांसद बने तो भरखरा गांव आए थे. कई घोषणा इनके द्वारा किया गया. एक भी धरातल पर नही दिख रहा है. सुखपुरा निवासी गुड्डू ने कहा कि कार्यकाल समाप्त होने वाला है, सांसद द्वारा सुखपुरा के लिए शहीद स्मारक की चाहरदीवारी के लिए घोषणा के बाद पटल कर देखने भी नहीं आए.