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सिकंदरपुर(बलिया)।धान की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत की संक्षिप्त तैयारी आवश्यक है. वर्तमान गर्मी के मौसम में यदि खेत की जुताई कर दी जाए तो तैयारी का यह प्रथम चरण होगा. इसके बाद रोपाई के पूर्व खेत की तीन और जुताई आवश्यक होती है. गर्मी की जुताई कर दिए जाने से खेत की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है. कृषि विशेषज्ञ एसबी शर्मा ने खेतों की मेढ़ को थोड़ा ऊंचा व मजबूत बनाने का सुझाव दिया है. जिससे कि बारिश के समय आसमानी पानी गिरने पर इधर-उधर बह कर जाने की बजाए खेतों में ही संचित हो. बताया कि आसमान में मौजूद नाइट्रोजन सल्फर डाइऑक्साइड आदि तत्त्व वर्षा जल के साथ नीचे गिरते हैं. यह तत्व पानी के साथ खेतों में रहने से फसल को काफी लाभ पहुंचाते हैं. साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है. उधर खेतों की जुताई से उसमें मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. कुछ हानिकारक कीट भी गर्मी की जुताई मर जाते हैं.धान के पौधे की रोपाई के 1 सप्ताह पूर्व खेत की सिंचाई की सलाह दिया है. बताया कि खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए उसमें ढैंचा या सनई की खेती कर उसकी पलटाई कर दिया जाना चाहिए. इससे अधिकाधिक लाभ मिल सकेगा