दुख ही मनुष्य की मूल सम्पत्ति है – इंद्रेश जी

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बलिया। गौ की पूंछ से स्पर्श कराकर पितरों का तर्पण करने से वह प्रेतादि सहित सभी योनियों से मुक्त हो जाते हैं. गौरक्षा करने वाला अगर कभी झूठ भी बोल देता है, तो भगवान भी उसे मान लेते हैं. उक्त बातें सुरभि महायज्ञ के पांचवें दिन व्यासपीठ से आचार्य इन्द्रेश उपाध्याय जी ने कही. उन्होंने कहा कि गाय के शरीर में तैतीस करोड देवी-देवता निवास करते है.

भागवत मर्मज्ञ इन्द्रेश जी ने जोडा की गौ और गोपाल को अलग नहीं किया जा सकता है और गोपाल कृष्ण की महिमा देखिए कि पाण्डवों की माता हस्तिनापुर की महारानी कुंती कृष्ण से वरदान मांगती है कि हे भगवान हमें दुख दो. कृष्ण ने पूरा जीवन तो आपने दुख ही भोगा है, फिर दुख क्यों मांग रही है. कुंती ने कहा जितने दिन मैं दुख में कृष्ण मेरे पास रहे. इसीलिए मैं दुख मांग रही हूँ. वास्तव में दुख ही मनुष्य की मूल सम्पत्ति है, दुखों से घबड़ाना नहीं चाहिए. दुख चार प्रकार के होते हैं. समय के दुख, कर्म से दुख, स्वभाव से दुखी और क्षणिक दुख. इसमें स्वभाव का दुखी नरक भोगता है, शेष दुख तो सीख और सफलता देकर जाते हैं.

यज्ञ स्थल पर जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभाष्कर जी महाराज, जगद्गुरु स्वामी चन्द्रभूषण जी महाराज, स्वामी सारंगधराचार्य जी महाराज, स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज का आगमन हुआ. स्वामी वासुदेवाचार्य जी ने भोजपुरी में मानव जन्म की कथा सुनाकर भक्तों से भरे पंडाल को कभी हंसने कभी रोने तथा कभी सोचने-समझने को विवश कर दिया. वैदिक गौधाम गौशाला की स्थापना के लिए आहूत हवनात्मक महायज्ञ की पूर्णाहूति हो गई.

शुक्रवार को सायं चार बजे से विशाल संत सम्मेलन एवं भूमिपूजन का कार्यक्रम सम्पन्न होगा. इस अवसर पर संस्थापक श्री बद्री विशाल महाराज, शिवकुमार सिंह कौशिकेय, केदारनाथ गुप्ता, ईश्वरनश्री, अनुज सरावगी, नीलेश माहेश्वरी, सूर्य अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, विनय गोयल , अरुण मणि आदि ने संतों का अभिनंदन स्वागत किया.