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बैरिया (बलिया)। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भदोही सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी खेत, कृषि, किसान व गांव के विकास के मुद्दों को लेकर चल रही है. वैसे तो इसी मुद्दे की नकल और भी पार्टियां कर रही हैं. वे अब बातें भी करने लगी हैं, लेकिन हमारे बजट को देखकर यह समझा जा सकता है कि भाजपा इसके लिए कितनी गंभीर है.
मस्त शनिवार को अपने पैतृक गांव दोकटी में आए थे और पत्रकारों से मुखातिब थे. उन्होंने हाल ही में स्वयं द्वारा जारी किए गए भाजपा के कृषि संकल्प दस्तावेज पर विस्तार से अपनी बात रखी. बताएं भाजपा के केंद्र सरकार द्वारा बजट में खेत किसान व गांव के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जो धन जिस काम के लिए आएगा उसी में खर्च होगा. बंदरबांट की गुंजाइश ही नहीं छोड़ी जाएगी. किसानों को उनके उत्पाद का भरपूर लाभ मिले. उनका उत्पादन लाभकारी हो. भंडारण के लिए छोटे किसानों को सुविधा दी जाएगी. फसली ऋण माफ होगा. फसली ऋण ब्याज मुक्त देंगे. किसानों को पांच से सात दुधारू पशु के लिए नाबार्ड योजना से 90% सब्सिडी पर धन उपलब्ध कराया जाएगा. सोलर सिस्टम द्वारा सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी. इस तरह से कई योजनाओं के बारे में बताएं.
उनका कहना था कि किसान देश को रेवेन्यू देता है. उसका अधिकार है सरकार से सुविधाएं प्राप्त करना. भाजपा जो कहती है वह करती है. कृषि हमारी जीवन धारा है. इसे उद्योग की तरह सुविधा देने की योजना है. यह पूछे जाने पर की टिकट के बंटवारे में भाजपा ने कहीं खुद ही आंतरिक कलह को तो जन्म नहीं दे दिया, इसके जवाब में सिंह ने कहा कि जब टिकट के चाहने वाले अधिक हो और देना तो एक ही को है. ऐसे में असंतोष तो स्वाभाविक है. लेकिन यह कोई बहुत चिंता का विषय नहीं है. नाराज लोगों को समझा लिया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि गोद लिए गए सांसद आदर्श गांव का अपेक्षित विकास नहीं हुआ. फिर आमजन आप की घोषणाओं पर कैसे विश्वास करेंगे, इसके जवाब में सिंह ने कहा कि ऐसा संघी व्यवस्था के चलते हुआ है. जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकार हैं. वहां यह योजना गति पर है. जहां प्रदेश सरकार भाजपा की नहीं है. वहीं पर इस तरह की शिकायतें देखने को मिली. फिर बलिया के संदर्भ में बोले कि यहां के सांसद भरत सिंह केंद्र से जितना विकास के लिए धन स्वीकृत कराएं हैं. हाईवे, पुल, बिजली, रेल आदि के लिए वहां हस्तक्षेप नहीं है प्रदेश सरकार का. तो विकास कार्य प्रगति पर है. ऐसा बलिया में पहले कभी नहीं हुआ. केंद्र से जितने धन स्वीकृत हुए हैं उतना पहले कभी नहीं स्वीकृत हुआ.