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बलिया। व्यापक मानवीय मूल्यों को जीने और जीने की जिजीविष पैदा करने वाले प्रो. हरिद्वार राय न केवल शिक्षक वरन् अद्भुत जीवट वाले अन्यतम शिक्षाविद् और राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष के रूप में भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर (बिहार) में कार्यरत रहे और जीवन के उत्तरार्द्ध में कुलपति के रूप में अवकाश ग्रहण किए.
सघन व्यस्तता के बावजूद आपने दर्जनों पुस्तकों की रचना की, जिनमें भारतीय राजनीति के नये आयाम बहुचर्चित कृति है. नौ दशकों तक स्वस्थ जीवनयापन करते हुए आपने जनवरी की 9वीं तारीख को निजी आवास पर इहलीला समाप्त की. पत्नी की मृत्यु और क्रमशः मित्रों में गौरीशंकर राय और चन्द्रशेखर के बिछुड़न से वे मर्माहत से रहने लगे थे. ध्यातव्य है कि प्रो. राय अपने पीछे पुत्र-पुत्री, पौत्र और पौत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए है.
श्रद्धांजलि गोष्ठी में डॉ. जनार्दन राय, भीमनाथ राय, अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारी कैलाश राय, सुरेन्द्र उपाध्याय, शिल्पा राय आदि ने दो दो मिनट का मौन रखकर गतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गयी.