यहीं भगवान श्रीराम ने किया था अहिल्या का उद्धार

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

रिविलगंज (छपरा) से लवकुश सिंह

LAVKUSH_SINGHअपने देश में तीन स्थानों पर स्नान और मेला एक ही समय कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिन शुरू होता है. वह है बिहार का सोनपुर, बलिया का ददरी मेला और छपरा (बिहार) का ही कोनिया मेला. आप सोनपुर और ददरी मेला के विषय में तो बहुत कुछ जानते होंगे, किंतु छपरा जिला मुख्यालय से महज दस किमी की दूरी पर स्थित पैराणिक गोदना, वर्तमान में रिविलगंज, के विषय में कम जानते होंगे. वस्तुत: यह क्षेत्र आरण्यक संस्कृति का प्रतिविम्ब है.

घाघरा के तट पर यह स्थान ऋषि-मुनियों का साधना क्षेत्र रहा है. त्रेता युग में इसी स्थान पर महर्षि श्रृंगी के द्धारा कराए गए पुत्र्येष्टि यज्ञ के कारण ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. काशी के गंगा तट पर अवस्थित मंदिरों की श्रृंखला जहां सतयुग की महता प्रकट करती है, वहीं यहां गोदना से सेमरिया तक मंदिरों की श्रृंखला इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता बयां करती  है. लगभग चार किमी में फैले इस क्षेत्र को देश भर में गौतम स्थान के नाम से जाना जाता है.

बाल्मिकी रामायण में भी इस स्थान का विस्तृत उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि महर्षि गौतम के शाप से पत्थर बनी उनकी पत्नी अहिल्या का उद्धार भगवान श्रीराम ने इसी स्थान पर आकर किया था. तब से कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां विशाल मेले के आयोजन की भी परंपरा है. इस दिन लोग यहां सरयू में स्नान के बाद मूली और सतू जरूर खाते हैं, किंतु दुखद कि धार्मिक रूप से इतना विख्यात होने के बाद भी यह स्थान विकास के मामले में दिन प्रतिदिन और पीछे ही होते जा रहा है. इस स्थान की जब गहन पड़ताल की तो यह स्थल हर मायने में उपेक्षित ही प्रतीत हुआ.

भारतीय रेलवे ने समझा महत्व

इस स्थान के महत्व को रेलवे ने जरूर समझा है. महर्षि श्रृंगी, गौतम, अहिल्या, वीर हनुमान, अंजनी की कथा से जुड़े इस नगर में पड़ने वाले स्टेशन का नाम गौतम स्थान दर्ज है. इसी स्थान पर उतर लोग रिविलगंज में स्थित गौतम आश्रम का दर्शन करने जाते हैं.

वीर हनुमान का ननिहाल भी है गौतम स्थान

इस स्थान को वीर हनुमान का ननिहाल भी कहा जाता है. वीर हनुमान अंजनी के पुत्र हैं और अंजनी महर्षि गौतम की पुत्री, इस नाते यह स्थल वीर हनुमान का ननिहाल भी कहा जाता है.

चुंगी कलेक्टर रिवेल के नाम से प्रचलित हुआ रिविलगंज

जब अंग्रेजी सरकार भारत में आई तो इस क्षेत्र का विस्तार व्यापारिक केंद्र के रूप में किया गया. ब्रिटिश सरकार के मालवाहक जलपोतों के गमनागमन हेतु यहां जहाजघाट बनाया गया. तभी इस क्षेत्र को नगरपालिका के रूप में चिन्हित किया गया. तब के कलेक्‍टर रिवेल के नाम से 1876 में रिविलगंज नगरपालिका अस्तित्व में आया.

इस स्थान की प्रचलित कथा

महर्षि गौतम मिथला के निवासी थे. उन्हें एक पुत्र सदानंद और एक पुत्री अंजनी थी. महर्षि गौतम सदानंद को जनक के दरबार में पुरोहित का कार्य सौंप कर अपनी पत्नी अहिल्या और पुत्री अंजनी के सांथ यही गोदना में तपस्या में लीन हो गए. इसी बीच भगवान इंद्र की नजर अहिल्या पर पड़ी और वे उन्हें पाने के लिए षड़यंत्र में रचने में लग गए. एक दिन इंद्र के इशारे पर चंद्रमा मुकरेड़ा में मुर्गा बनकर आधी रात को ही अलाप करने लगे. महर्षि गौतम सुबह नदी घाट पर स्नान के लिए निकल पड़े. तभी भविष्‍यवाणी हुई कि ऋषि तुम अपनी कुटी लौट जाओ, तुम्हारे सांथ छल हुआ है. महर्षि गौतम जब अपनी कुटी पर वापस आए, तो देखा कि इंद्र उन्हीं के वेश में उनकी कुटी से बाहर निकल रहे हैं. यह देखते अहिल्या भी समझ गई कि उनके सांथ छल हुआ है. वह कुछ कह पाती इससे पूर्व ही महर्षि गौतम क्रोध में तिलमिला उठे और उसी वक्त अहिल्या को पत्थर बन जाने का शाप दे दिया. अहिल्या का उद्धार तब हुआ, जब भगवान राम जनकपुर जाने के क्रम में म‍हर्षि गौतम के आश्रम में पहुंचे. यहां उन्होंने अपने स्पर्श से अहिल्या का उद्धार किया.

अभी भी स्थापित हैं भगवान का पदचिन्ह

महर्षि गौतम के आश्रम में भगवान राम का वह पदचिन्ह अभी भी स्थापित है. इस आश्रम के मठाधीश्वर रामदयालु दास ने बताया कि अब उस पदचिन्ह के ऊपर एक मंदिर बना दिया गया है, जिसे लोग बाहर से ही दर्शन करते हैं.

आश्रम तक जाने वाला मार्ग भी है जर्जर

छपरा-रिविलगंज मार्ग पर एनएच से महज दो सौ मीटर की दूरी पर महर्षि गौतम का आश्रम स्थित है. इसके बावजूद यहां तक जाने वाले मार्ग की हालत जर्जर हाल में है. इस बीच कई जगहों पर घरों का पानी भी बहते नजर आया.

ramdayalu-dasइस आश्रम की देखभाल के लिए स्थायी समिति भी नहीं है. इस स्थान के महत्व की चर्चा लगभग शास्त्रों में है, किंतु यह आश्रम हर मामले में उपेक्षित है. बिहार सरकार या जागरूक लोगों को चाहिए कि वह इस स्‍थान के महत्व को समझते हुए, इसका विकास करे. – रामदयालु दास (महंथ), महर्षि गौतम आश्रम, गोदना, गौतम स्थान