युवाओं को रोजगार से जोड़कर आतंकवाद से मिल सकेगा निजात- विद्यार्थी
दुबहर, बलिया. जघन्य हिंसा के द्वारा जनमानस में भय या आतंक पैदा कर अपने उद्देश्यों को पूरा करना आतंकवाद है. कोई नहीं जानता है कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन और किस रूप में होगा ॽ आतंकवाद ने आज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है. यह मानव जाति के लिए कलंक बन चुका है.
उक्त बातें सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने बेयासी ढाला स्थित मंगल चबूतरा पर विश्व आतंकवाद विरोधी दिवस के पूर्व संध्या पर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहीं.
कहा कि आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके आजमाते रहते हैं. भीड़ भरे स्थानों, रेल-बसों इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेलवे दुर्घटना करवाने के लिए रेलवे लाइनों की पटरियां उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बंदी बना लेना, बैंक डकैतियां करना इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियां हैं, जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से त्रस्त है. वैसे तो आतंकवाद के प्रमुख कारण स्वार्थ, सत्ता लोलुपता एवं धार्मिक कट्टरता है. किंतु नक्सलवाद जैसी विद्रोही गतिविधियों के सामाजिक कारण भी हैं, जिनमें बेरोगारी एवं गरीबी प्रमुख है. विश्व के अधिकतर आतंकवादी संगठन युवाओं की गरीबी एवं बेरोजगारी का लाभ उठाकर उन्हें आतंकवाद के अंधे कुएं में कूदने के लिए उकसाने में सफल रहते हैं.
श्री विद्यार्थी ने कहा कि आतंकवाद से निजात पाने के लिए पिछड़े इलाके के युवक- युवतियों को रोजगार प्रदान कराने जैसे कदम अत्यधिक कारगर साबित हो सकते हैं. युवा चेतना शक्ति का स्रोत है. अगर युवा सही रास्ते पर आ गए तो आतंकवाद अपने आप खत्म हो जाएगा.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)