विश्व साहित्य में भी व्यापक रूप से रचित है रामकथा

बलिया। श्रीराम भारतीय लोकमानस में आराध्यदेव के रूप में स्थापित हैं, तथा देश के प्राय: सभी भाषाओं में तथा साहित्य की विस्तृत रूप से रचना हुई है. किन्तु इसके साथ ही साथ विश्व के ऐसे अनेक देश हैं जहां की भाषा में राम कथा की रचना विस्तृत रूप से हुई है.
चीन में राम साहित्य

चीन में राम साहित्य का सृजन चीनी भाषा में किया गया है जिसमें “लिउ त ऊत्व”, “त्वपाओ” एवं “लंका सिहा” है. जिनका रचना काल क्रमश: २५१ ई०, ४७२ई० एवं ७वीं शती है. पहले दो ग्रंथों के रचयिता क्रमश: किंग एवं त्वांगकिंग हैं , जबकि तीसरे ग्रंथ के रचयिता अज्ञात हैं.

तुर्कीस्तान में राम साहित्य तुर्कीस्तान में तुर्की भाषा में”खोतानी रामायण” नामक ग्रंथ की रचना ९ वीं शती में की गयी, जिसके रचयिता का नाम अज्ञात हैं.
तिब्बत में राम साहित्य तिब्बती भाषा में “तिब्बत रामायण” की रचना की गयी है ,जिसके रचयिता का नाम अज्ञात हैं.
मंगोलिया में राम साहित्य मंगोलिया में “मंगोलिया की रामकथा” की रचना हुई है ,जिसकी रचना १०वीं शती में की गती किन्तु रचनाकार का नाम अज्ञात हैं.
जापान में राम साहित्य

जापान में साम्बो ऐ कोतोबा ने “जापान की रामकथा” की रचना १०वीं शती में की, जबकि १२वीं शती में होबुत्सु नेभी “जापान की रामकथा”की रचना की.
हिन्देशिया में रामकथा हिन्देशिया में ८वीं शती में हरिश्रयक कवि ने “हरिश्रय”, की रचना की. इसके बाद १९वीं शती में “रामपुराण”एवं “अर्जुन विजय” नामक ग्रंथ की रचना की गती. इन पुस्तकों के लेखकों का नाम अज्ञात हैं. इसके बाद रामविजय, वीरतत्व, कपिपर्व, चरित्र रामायण, ककविन रामायण, जाली रामायण एवं मिगासुर रामकथा नामक ग्रंथों की रचना कुछ गती।हिन्देशिया में रामकथा से संबंधित ११ ग्रंथों की रचना की गती है.
थाईलैण्ड में राम साहित्य

थाईलैण्ड में” केचक रामकथा” नामक ग्रंथ की रचना की गती है. जिसके रचयिता का नाम ज्ञात नहीं है.

लाओस में रामकथा

लाओस में” फालक रामकथा” एवं “पोम्मचाक” नामक ग्रंथ की रचना की गती है ,जिनके रचयिता का पता नहीं है.

मलेशिया में रामकथा मलेशिया में १३वीं शती में” हकारत श्रीराम” नामक ग्रंथ की रचना की गती, जिसके रचयिता अज्ञात हैं. इसके बाद “हकारत महाराज रावण”ग्रंथ की भी रचना की गयी,जिसके रचनाकार एवं रचनाकार का पता नहीं है.
कम्बोडिया में राम साहित्य इस देश में “रामकीर्ति ” नामक ग्रंथ की रचना की गयी, किन्तु रचनाकार एवं रचनाकाल ज्ञात नहीं है.
श्रीलंका में राम साहित्य

श्रीलंका में कालिदास के समकालीन कुमार दास ने “जानकी हरणम् ” ग्रंथ की रचना की थी.

फिलीपींस में राम साहित्य

इस देश में १३वीं शती में “महरादिया लावना” नामक ग्रंथ की रचना हुई, जिसके रचनाकार का नाम अज्ञात हैं.

म्यामार में राम साहित्य
म्यानमार में राम साहित्य पर अनेक ग्रंथ लिखे ग्रे हैं, जिनमें से रामवस्तु, महाराज, रामतोनमयो, रामतताज्यी, राम यग्रान, अलोगरामताज्यी, थीरीराम, पौन्तवराम एवं पौन्तवराम लखन मुख्य हैं.
रूस में राम साहित्य

रूस में तुलसी कृत रामचरितमानस का रूसी भाषा में अनुवाद बारात्रिकोव ने १० वर्षों के अथक परिश्रम के बाद किया, जिसका प्रकाशन १९४८ में हुआ. इनके राम ससहित्य पर अनेक लेख वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं.
इसके अतिरिक्त अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, उर्दू, फारसी एवं पस्तो आदि भाषाओं में राम साहित्य की विस्तृत रचना की गयी है.
इस प्रकार राम साहित्य आज विश्व व्यापी साहित्य हो गया है, और विश्व के अधिकांश देशों की भाषाओं में राम साहित्य उपलब्ध है.

प्रस्तुति~डा. गणेश कुमार पाठक ‘प्राचार्य ‘अमरनाथ मिश्र पीजी कालेज दुबेछपरा, बलिया

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