
बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के
कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय के मार्गदर्शन
में व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, द्वारा दो दिवसीय (18-19) नवंबर, 2022 को व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
पहले दिन जिले की कमजोर वर्ग की महिलाओं का सशक्तिकरण हेतु बिंदी, कृत्रिम आभूषण, सिंधोरा उत्पादन व मशरुम उत्पादन पर करनई, अपायल, भीखपुर, सलेमपुर और जीरा बस्ती की 50 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया।
इस मामले में मशरुम उत्पादन के प्रशिक्षक हरिशंकर वर्मा ने बताया कि मशरुम उत्पादन के माध्यम से महिलायें आर्थिक रुप से सक्षम होंगी। उन्होंने कहा कि पौष्टिकता से भरपूर सब्जी के रूप में मशरूम का तेजी से विकास हो रहा है। बाजार के अनरूप मांग को देखते हुए मशरूम की खेती पर भी बहुत अधिक जोर देने की आवश्यकता है। अतः मशरुम की खेती कम भूमि में तथा कम खर्चे में और कम समय अधिक उत्पादन के साथ मुनाफा देने वाली फसल बनते जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है। जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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मशरूम एक पूर्ण स्वास्थ्यवर्धक है जो सभी लोगों बच्चों से लेकर वृद्ध तक के लिए अनुकूल है। इसमे प्रोटीन, रेशा, विटामिन तथा खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। ताजे मशरूम में 80-90 प्रतिशत पानी होता है तथा प्रोटीन की मात्रा 12- 35 प्रतिशत, कार्बाेहाइड्रेट 26-82 प्रतिशत एवं रेशा 8-10 प्रतिशत होता है । मशरूम में पाये जाने वाला रेशा पाचक होता है। मशरूम शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है स्वास्थ्य ठीक रहता है। कैंसर की सम्भावना कम करता है। गॉठ की वृद्धि को रोकता है, रक्त शर्करा को सन्तुलित करता है। मशरूम हृदय के लिए, मधुमेह के रोगियों एवं मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए, कैंसर रोधी प्रभाव रोगों में लाभदायक है।
बिन्दी निर्माण के प्रशिक्षक प्रवीण ने कहा कि महिलाये अपने छोटे से घर के एक कमरे में बैठीं चार-पांच महिलाएं बिंदी का निर्माण कर उसे बाजार में बेचने लायक बना सकती है। जिलें में कई घर हैं जहां बिंदी बनाकर महिलाएं अपने परिवार से गरीबी भगा रही हैं। साल-दो साल पहले तक बेरंग इनकी जिंदगी में बिंदी के कारोबार ने चमक बिखेर दी है। बिंदी का कारोबार पंचायत में कुटीर उद्योग का रूप ले रहा है। महिलाओं ने कार्यशाला में स्वयं बिन्दी बनाने का गुण सीखा। कार्यक्रम में निदेशक शैक्षणिक डा. पुष्पा मिश्रा व अन्य अध्यापकगण उपस्थित रहे।
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)