मां विंध्यवासिनी की प्रतिमूर्ति है उचेड़ा की मां चंडी भवानी
24 घंटे में तीन रूप धारण करती हैं मां
मंगल गीत गाते पहुंचती है इलाके की महिलाएं
मांगलिक कार्यों में मां चंडी भवानी की होती है प्रथम पूजा
रसड़ा (बलिया). तहसील मुख्यालय से लगभग 10 किमी दक्षिण पूर्व उचेड़ा स्थित मां चण्डी भवानी का मंदिर नवरात्र में माता की पूजा की तैयारी पूरी हो चुकी है.
विंध्याचल की मां विंध्यवासिनी की प्रतिमूर्ति के रूप में विख्यात इस मंदिर में मां के सिरमुखी स्वरूप का दर्शन होता है जो चौबीस घण्टे में तीन रूप धारण करती है. सुबह में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था व रात्रि में वृद्धावस्था के रूप में दर्शन देती है.
मां चण्डी के दरबार में नवरात्र के अलावा भी सच्चे मन से आने वाले भक्तों की मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मां चण्डी के स्वमेव उचेड़ा गांव में अवतरित होने की कथा भी काफी कौतूहल पूर्ण है.
वृद्धावस्था में जब वे चलने फिरने में असमर्थ हो रहे थे तो उन्होंने मां के दरबार में कहा कि अब मै आपके पास नहीं आ पाऊंगा. इसलिये अब आपको मेरे साथ ही चलना होगा.
यह सुन मां विंध्यवासिनी ने उन्हें अपेक्षित आश्वासन दिया. वहां से लौटने के बाद ब्राम्हण रोज की तरह अपने घर में सो रहे थे तभी स्वप्न में मां ने मंदिर के स्थान पर स्वमेव अवतरित होने की बात बतायी. स्वप्न देखते ही ब्राम्हण की नींद टूट गयी और भोर होते ही वे गांव के पूरब और दक्षिण स्थित उचेड़ा गांव जो उन दिनों जंगल के रूप में था वहां जा पहुंचे. वहां जाने के बाद जब उन्होंने जमीन की खुदाई करायी तो वहां मां विंध्यवासिनी के सिरमुखी प्रतिमा दिखायी दी.
उन्होंने प्रतिमा के पूर्ण स्वरूप को बाहर निकालने के लिये काफी दिनो तक खुदाई करायी परन्तु प्रतिदिन मां की प्रतिमा जमीन के अंदर धंसती ही जा रही थी. बाद में मां ने उन्हें पुनः स्वप्न दिखाकर बताया कि मेरा स्वरूप यही रहेगा और मै इसी रूप में यहीं से लोककल्याण करती रहूंगी.
तत्पश्चात ब्राम्हण ने यहां मंदिर का निर्माण कराया और तभी से निर्माण व सुन्दरीकरण होते-होते आज यहां मां चण्डी का भव्य मंदिर स्थापित हो चुका है. जहां चैत्र व शारदीय नवरात्र में मेला व विविध कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिसमें लाखों श्रद्धालुजन सहभागिता करते है.
जो आया हो गया निहाल
आज भी निःसंतान, असाध्य रोगों से पीडि़त लोगों की पीड़ा मां चण्डी के दर्शन करते ही दूर हो जाते है. मां के मंदिर पर इलाके के तमाम गांवों के लोग शादी, मुण्डन, जनेऊ संस्कार आदि शुभ कार्य होने पर इनकी विशेष पूजा करते है.
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रसड़ा से संतोष सिंह की रिपोर्ट
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