यूपी के चुनावी बिसात पर भाजपा की ‘जात’

बलिया लाइव ब्यूरो

अमित शाह की माने तो यूपी के विकास में सबसे बड़े रोड़ा हैं सपा और बसपा. शाह ने मऊ की रैली व अति दलितों और अति पिछड़ों की महापंचायत में शनिवार को राहु-केतु करार दिया. इस मौके पर शाह ने कभी मुख्तार अंसारी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर की भारतीय समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन की घोषणा की. साथ ही बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह विलय नहीं, सिर्फ गठबंधन है. जाहिर है भाजपा यूपी की चुनावी बिसात पर जात की गोटिया सेट करने में जुटी हुई है. वैसे तो भाजपा विकास का माला जपने की आदी रही है, मगर सत्ता की दौड़ में वह किसी भी शर्त पर पीछे रहने के मूड में नहीं है. अपना दल की स्वाभिमान रैली के बाद अब वह पूर्वांचल में अति पिछड़ों और अति दलितों को अपने पाले में करने की जुगत में है.

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मिशन 2017 के लिए टार्गेट 50 फीसदी का वोट बैंक
बिहार में हारी भाजपा उत्तर प्रदेश कोई मौका चूकना नहीं चाहती. लिहाजा उनके नेता मंच पर तो विकास की बात करते हैं पर समीकरण जातीय बैठा रहे हैं. इसी कारण अपना दल की अनुप्रिया पटेल और भासपा के बाद उनके निशाने पर और छोटी पार्टियां हैं. पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों के तकरीबन 50 फीसद वोट हैं उत्तर प्रदेश में. इनमें से यादव 19 % निकाल दें तो भी यह तादाद बहुत है. यही वजह है कि बीजेपी ज़्यादा से ज़्यादा पार्टियों को अपनी तरफ गोलबंद करने में जुटी हुई है. यक्ष प्रश्न तो यह है कि बिहार चुनाव में भाजपा इसी जाति की कश्ती में सवार होकर डूब चुकी है. एक बार फिर उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसी कश्ती पर सवार होने की तैयारी कर रही है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में यह कश्ती चुनावी वैतरणी पार कर पाती है या नहीं.

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भासपा को भी जरूरत है भाजपा के सहारे की
वैसे सच्चाई तो यह है कि भासपा को भी भाजपा के सहारे की जरूरत है. राजभरों का पूर्वांचल में बड़ा वोट बैंक है. 2012 के चुनाव में इनकी ताकत का स्पष्ट एहसास हुआ था. बलिया, गाजीपुर, मऊ, वाराणसी में भासपा का प्रदर्शन जानदार रहा. भासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश ने गाजीपुर की जहूराबाद सीट से 49600 वोट मिले थे. पार्टी के दूसरे प्रत्याशी बलिया ने फेफना से 42000 ,  रसड़ा से 26000,  सिकंदरपुर से 40000,  बेल्थरा रोड से 38000 वोट बटोरे थे. गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी में भी पार्टी के उम्मीदवारों ने 18 से 30 हजार वोट बटोरे थे, लेकिन कोई सीट जीत नहीं पाए थे. लिहाजा सत्ता में भागीदारी के लिए राजभरों को भी किसी मजबूत कंधे की जरूरत है जो उन्हें बीजेपी के रूप में नजर आ रहा है. इसलिए ओम प्रकाश राजभर ने अपने लोगों को विकास से अब तक दूर रहने की बात याद दिलाते हुए कहा कि “खजाना लेना है कि नहीं। कितने लोग तैयार हैं खजाना लेने के लिए। यह खजाना तभी मिलेगा जब भारतीय जनता पार्टी और भासपा की सरकार बनेगी.”

सोहेल देव का गुजरात कनेक्शन

राजभरों को अपनी तरफ गोलबंद करने के लिए अमित शाह को सोहेल देव का गुजरात कनेक्शन भी याद आ गया. मऊ में अति दलित अति पिछड़ों की महापंचायत में अमित शाह ने कहा  ”मैं सोमनाथ की धरती से आता हूं. सोमनाथ मंदिर को गजनी ने तोड़ा था. यहां बहराइच में भी एक सोमनाथ का मंदिर था जिसको तोड़ने के लिए उसका भतीजा गाजी और साला आया था. पर उसे नहीं पता था कि बहराइच में महाराजा सोहेल देव का राज है. महाराजा सोहेल देव ने उन्हें हराया. सोहेल देव ने देश की रक्षा के साथ धर्म की भी रक्षा की.” गौरतलब है कि इसी साल सोहेलदेव के नाम पर एक सुपरफास्ट ट्रेन आनंद बिहार से गाजीपुर के लिए चलाई गई है.
 

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