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महिलाएं ही अपने त्याग, समर्पण और परिश्रम से हमारे जीवन में रंग भरती हैं. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऋग्वेद दौर तक देश में महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त थे, परंतु कालांतर में स्थिति बिगड़ने लगी. कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर समुचित भागीदारी के बिना महिला सशक्तीकरण का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता.