‘येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल!!’
जिस प्रकार राजा बलि में रक्षा सूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया, उसी प्रकार हे रक्षा! आज मैं तुम्हें बांधता हूं, तू भी अपने उद्देश्य से विचलित न होना और दृढ़ बना रहना ॥