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कोटवारी स्थित सिद्दिकिया इण्टर कॉलेज के मैदान में लखनेश्वर महोत्सव आयोजित किया गया. जनपद के अलावा अन्य जनपदों व बिहार के भोजपुरी कलाकारों ने गीत के द्वारा उपस्थित श्रोताओं को रात भर झुमाया. बतौर मुख्य अतिथि विधायक उमाशंकर सिंह, विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि सतीश सिंह, जिला सदस्य प्रतिनिधि विनय राजभर, प्रबन्धक विनोद कुमार सिंह ने फीता काटकर शुभारम्भ किया.

लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपियर का गांव कुतुबपुर काश. स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतीक्षा नहीं होती. गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे में है. कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन भी उस गांव को रोशन नहीं कर सका.

असीमीत जमीनी जानकारी, सपाट शैली व अलौकिक इल्म ने तब के ‘लोकगायक’ भिखारी ठाकुर को अंतर्राष्ट्रीय उंचाई दी. अति सामान्य इस व्यक्ति की लोक समझ, शोध प्रबंधों का साधन बन गई. भोजपुरी के प्रतीक भिखारी ठाकुर अपनी प्रासंगिक रचनाधर्मिता के कारण भारतीय लोक साहित्य में ही नहीं, सात समुंदर पार मारीशस, फीजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं.



प्रख्यात साहित्यकार व यश भारती से सम्मानित डॉ. विवेकी राय का मंगलवार को सुबह वाराणसी मे निधन हो गया. सुबह से ही उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है. इसी क्रम में रेल राज्य मंत्री / संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा ने वाराणसी पहुंच कर परिजनों से शोक संवेदना प्रकट करते हुए उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके आत्मा की शांति के लिए परमात्मा से प्रार्थना की.

यश भारती से सम्मानित विख्यात साहित्यकार डॉ. विवेकी राय का वाराणसी में लंबी बीमारी के बाद मंगलवार की भोर 4.00 बजे निधन हो गया. बड़ी बाग मुहल्ला निवासी डॉ. विवेकी राय की तबियत एक सप्ताह से खराब चल रही थी. उन्हें वाराणसी के एक अस्पताल में भरती कराया गया था. हालत गंभीर होने के कारण उन्हें वाराणसी स्थित गैलेक्सी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.