पुराणों के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक शैतान राजा राज्य करता था जिसे ब्रह्मा द्वारा आशीर्वाद प्राप्त था कि उसे कोई आदमी, जानवर या हथियार नहीं मार सकता. इस वरदान के बाद वह इतना अहंकारी हो गया कि उसने अपने राज्य में भगवान की पूजा करना मना कर दिया एवं स्वयं की पूजा कराने लगा लेकिन किसी घटना ने उसके ही संतान की आंखें खोल दी और उसके पुत्र प्रह्लाद ने उसके आज्ञा का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसके कारण हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेक कुचक्र रचा.